कोंग्रेस व भाजपा की कांटे की टक्कर में निर्दलीय किसकी “बी” टीम,
सिरोही विधानसभा चुनाव में बागी निर्दलीय बिगाड़ सकता है समीकरण,

भाजपा व कोंग्रेस दोनो पार्टियो में जबरदस्त भीतरघात, भाजपा प्रत्याशी भोपाजी की चुनावी कमान संघ के पास।
कोंग्रेस प्रत्याशी लोढा ने बिछाई सेंधमारी की बिसात,
सिरोही(हरीश दवे)

सिरोही जिले की तीनों विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक सिरोही विधानसभा में 14 पिंडवाड़ा आबू में 7 व रेवदर में 6 प्रत्यशिओ ने भाजपा, कोंग्रेस,बसपा ,रारापा,आसपा,भानपा के अलावा निर्दलीयों ने नामांकन दाखिल किए जिसमे सिरोही सामान्य की अहम सीट पर भाजपा के युवा कद्दावर नेता निर्दलीय हेमंत पुरोहित ने नामांकन दाखिल कर भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है वही सोसल मीडिया में कोई निर्दलीय हेमंत पुरोहित को कोंग्रेस की बी टीम तो कोई भाजपा की बी टीम बता रहा है।पर भाजपा प्रत्यशी ओटाराम देवासी के गत तीनो चुनावो में स्टार प्रचारक रहे हेमंत पुरोहित व संघ पृष्ठ भूमि के एडवोकेट अशोक पुरोहित व पार्षद व ओबीसी नेता सुरेश सगरवंशी ने बागी बन कर स्थानीय लीडर शिप व उम्मीदवार भाजपा द्वारा घोषित नही करने व लोकल के मुद्दे पर भाजपा से बगावत कर पूर्व गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी के रास्ट्रवादी मतों को प्रभावित करने की हिलचाल शुरू कर दी है।जिसका सीधा फायदा कोंग्रेस को मिले या न मिले पर निर्दलीय बागी व उसके साथियों से होने वाले डेमेज को भाजपा संगठन ने कंट्रोल नही किया तो भाजपा प्रत्याशी को इससे खतरा हो सकता है।हालांकी मंगलवार से आवेदन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी व 9 नवम्बर को अभ्यर्थियों के नाम वापसी की प्रक्रिया के बाद रिटर्निंग अधिकारी प्रत्यशिओ को चुनाव चिन्ह आवंटित करेंगे उसके बाद साफ होने वाली स्तिथि में भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्यशी हेमंत पुरोहित के नामांकन वापिस खिंचने की संभावना कम है जिससे सिरोही विधानसभा चुनाव का चुनावी महासमर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण हो गया है।। सिरोही जिला फ़िल वक्त राज्य की विधानसभा में कोंग्रेस मुक्त है व कोंग्रेस की गहलोत सरकार व जिले में कोंग्रेस संगठन की प्राण वायु निर्दलीय विधायक संयम लोढा के समर्थन व एसोसिएट मेंबर कोंग्रेस का बनने के बाद संयम कोंग्रेस के रूप में प्रभावी रही और उन्होंने सिरोही नगर परिषद व शिवगंज नगर पालिका भी कोंग्रेस का बोर्ड बना के हथियाई ब कोंग्रेस संगठन में अपने विरोधियों का सफाया किया,जिला बदर किया या संगठन छोड़ भाजपा की बाह पकड़ने को भले ही मजबूर किया हो पर उनकी चिर निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी ओटाराम देवासी से कड़ी चुनोती मिलने वाली है क्यो की आकंठ,भीतर घात, भाई भतीजावाद व विचारधारा को ताक पे रख गत चुनावो भाजपा प्रत्याशी की भीतर घात से पराजय के बाद भले जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चोधरी की संनगठन ने जिलाध्यक्ष पद की बलि ली ब कार्य वाहक जिला ध्यक्ष नारायन पुरोहित को जिम्मेदारी मिली व उनके कार्यकाल में संगठन व मोर्चे मजबूत तो नही हुए पर बाहरी कारोबारी आदमी पदों पे थोपे जाते रहे व 5 साल भाजपा संनगठन प्रेस नोट व टिकट की दावेदारी व एक दूसरे को निपटाने में मसगूल रहे। व सत्तर फिसफी भाजपाई निर्दलीय विधायक संयम लोढा के रहमो करम पर विकास का मन्जा लूटते रहे।। इसी दरम्यान भाजपा के टिकट के दावेदारों व उपेक्षित नेताओ ने ब्रम्हन महापंचायत व विप्र फाउन्डेशन का शगूफा छेड़ा टिकट पाने में तो उसकी टक्कर में अग्रवाल महापंचायत व देवासियो की पंचायत जोधपुर में हुई तो भाजपा के धाकड़ नेता ओटाराम देवासी की हुंकार, कद काठी व व्यक्तितब के बूते वो बुलन्द इरादों के साथ विधायक लोढा से सिरोही की सीट छीन भाजपा का परचम लहराना चाहते है।उनकी नामंकन रैली के दौरान उन्होंने अपनी शक्ति के परिचय से भले भाजपा वर्कर में जोश का संचार किया पर भाजपा के दो बागी व निर्दलीय हेमंत पुरोहित उनकी राह में नुकीली कील अपनी बगावत में डाल 36 कौम के समर्थन का दावा बताते हुए तीनो बागी खुद को भाजपा में दबे हुए 36 कौम की आवाज उठा भाजपा प्रत्यशी ओटाराम व अनेक पदाधिकारियो को बाहरी बता कर लोकल जनो व लोकल कार्यकर्ताओ को नजरअंदाज करने का आरोप भाजपा पे जड़ भाजपा के पंरपरागत वोटो में जबरदस्त चोट दे कर वोटो का गणित व समीकरण बिगाड़ सकते है।। उधर कोंग्रेस पार्टी में तो कोई टिकट दावेदारी में दमदार प्रत्यशी सामने नही आया और प्रदेश कोंग्रेस संगठन व आलाकमान ने विधायक संयम लोढा को सिरोही के अलावा आबू पिंडवाड़ा व रेवदर सीट को भी जितने का दायित्ब सांसद नीरज डाँगी व जिलाध्यक्ष आनन्द जोशी के साथ कोंग्रेसियो को दायित्ब दिया है। अब रेवदर में जगसीराम कोली व आबू पिंडवाड़ा में समाराम गरासिया को भी भीतर घात का सामना करना पड़ता है।रेवदर में कोंग्रेस ने पूर्व प्रधान मोतीलाल कोली व प्रधान लीलाराम गरासिया को टिकट दे कर कोंग्रेस का परचम लहराने की ठानी है।जिसके लिए भीतरघात को झेलती भाजपा को सीट निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।। भाजपा ने सिरोही विधानसभा चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार ओटाराम देवासी पर भरोसा जताया जो गत चुनावो में भाजपा की भीतर घात से 10253 से निर्दलीय संयम लोढा से पराजय झेलनी पड़ी उससे पहले भोपाजी ने श्री लोढा को दो बार शिकस्त दी।। अब सीएम सलाहकार व निर्दलीय विधायक संयम लोढा पर कोंग्रेस ने दांव लगा दिया है जो अपने कार्य काल मे करवाये विकास कार्यो व चुनावी रणनीति में भाजपा में तोड़ फोड़ व सेंधमारी कर अपनी चुनावी व्यूह रचना में बूथ स्तर तक सुद्रढ़ जाल बिछा चुके है।व्ही भाजपा का लुंज पुंज संनगठन बूथ केंद्र, पन्ना प्रमुख व शक्ति केंद्र कागजो में है।पर संघ द्वारा बूथ मैनेजमेंट अपने हाथ मे लेने का फायदा मिलेगा।पर भाजपा की भीतर घात को थामना भाजपा प्रत्यशी भोपाजी के लिए कड़ी चुनोती है व मूल भाजपाई यही कयास लगा रहे है की निर्दलीय हेमंत पुरोहित को भाजपा ने खड़ा किया या विधायक लोढा ने पर विधायक लोढा द्वारा क्रांतिकारी नेता के शब्द से विभूषित निर्दलीय हेमंत पुरोहित जनरल जातियो में सेंध मारी करेंगे।निर्दलीय विधायक लोढा ने पांच साल जैसे अगला चुनाव जीतने की रणनीति में निकाले व सतत जनता के संपर्क में सोशल इंजीनियरिंग में हर जाति को अपने पक्ष में जुटाते रहे।व आज हालात यह है की सिरोही विधानसभा में एक भाई भोपाजी के साथ,एक भाई कोंग्रेस के साथ व एक भाई हेमंत जी के साथ अब रास्ट्रवादी व हिन्दू वादी वोट बट गए तो उसका सीधा फायदा कोंग्रेस को मिलेगा।। सिरोही विधानसभा क्षेत के कुल 303483 में महिलाओं के 145805 व पुरुषों के 157678 वोटों में इस बार नव मतदाताओं व प्रवासियों के वोट जितने वाले प्रत्यशिओ के लिए निर्णायक रहेंगे।पर भाजपा के प्रत्याशी ओटाराम देवासी की ताकत स्वयं की व्यक्तिगत छवि,सरलता व सादगी,हिंदुत्व, व पीएम मोदी की लोक प्रियता व संघ की शक्ति है तो कोंग्रेस प्रत्याशी लोढा की ताकत कोंग्रेस का परम्परागत वोट बैंक,गहलोत सरकार की योजनाओ से लाभांवित मतदाता व भाजपा की भीतर घात उन्हें बढ़त देती है।अब आने वाले समय मे भाजपा के बागियों ने नामांकन वापिस लिया तो ठीक है अन्यथा भाजपा के वोट में बिखराव का खतरा है।। जिला निर्वाचन अधिकारी व चुनाव विभाग की तैयारियों को देखते लग रहा है की इस बार मतदान 80 फीसदी पार होने की संभावना में प्रवासियों के भी दीपावली पर वतन वापसी से इस बार के चूनाब जिले की राजनीति में परिवर्तन की नई कहानी रचेंगे।





संपादक भावेश आर्य