राजीवनगर आवासीय योजना डबल इंजन की सरकार में क्या एससी के पक्ष में होगा फैसला, या आवेदकों को मिलेंगे घर?अनुसूचित जाति विरोधियों के लिये सुप्रीमकोर्ट की न्यायिक वीसी मे समझाइश

राजीव नगर आवासीय योजना नगर पालिका के भरस्टाचार में पीस रहे छगन पुराजी को न्याय की दरकार?
आवासीय योजना का सब्ज बाग दिखा नगर वासियो के आवास का हक छीन,नगर पालिका ने किए आवंटन ओर नीलामी, भ्रस्टाचार में डूबा सिरोही नगर परिषद बोर्ड अब बेठक में लेगा कौनसा प्रस्ताव?
सिरोही(हरीश दवे) ।

सिरोही नगर परिषद क्षेत्र की निर्धन,मध्यम, गरीब वर्ग की जनता के लिए वर्ष 1988 में राजीव नगर आवासीय योजना भूतपूर्व विधायक देवी सहाय गोपालिया के कार्यकाल में बनी थी। राजीव नगर आवासीय योजना के लिये भूमियां अवाप्त करनी थी तब धनाढ्य व प्रभाव शाली जनो की ओर भी कृषि भूमिया राजीव नगर के आस पास थी पर तबकी नगर पालिका को पसन्द अजा वर्ग के कोंग्रेस नेता तेजाराम गोयल (SC) व चमनाराम मीणा (ST) की कृषि भूमि पसन्द आई व क्रय की, जिस पर विवाद व अतिक्रमणो के शिकार में नगर पालिका, तहसील, राजस्व व स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों व भाजपा- कोंग्रेस दोनो बोर्ड में भरस्टाचार की शिकायत शिकार होते रहे।
पूर्व के नगर पालिका चेयरमेन श्रीमती तारा भण्डारी, उषा किरण शाह के बाद कुख्यात सत्ताधारी पूर्व चेयरमेन वीरेंद्र मोदी के कार्यकाल में राजीव नगर में आवेदक और फांनसे गए फिर एससी की भूमि में चेयरमेन रहे सुखदेव आर्य व सभापति रही श्रीमती जयश्री राठौड़ भी आवेदकों को आशियाने नही दिला सकी पर इसके पूर्व भूमाफियाओं सत्ताधिश ने अपना काला धन छुपाने एससी की भूमि पर आयकर भवन, जिसको हटाने का तहसीलदार ने नगरपालिका को नोटिस भी दिया व स्कूल भी बना दिये। पूर्व सभापती ने कंगाल नगर परिषद का भुगतान करते अदालती अवमानना के साथ दुकानों की नीलामी कर दी, पर आवेदकों को घर नही मिले व अब कोंग्रेस बोर्ड के सभापति महेंद्र मेवाड़ा भाजपा सरकार में सिरोही नगर परिषद बोर्ड की मीटिंग बुला राजीव गांधी आवासीय योजना में क्या गुल खिलाते है। इस पर अब सबकी नजर है? प्राप्त जानकारी के अनुसार एससी-एसटी के कानूनों के तहत नामान्तरण 2220 को तहसीलदार ने ही अस्वीकार करके नपालिका को इसमे से बाहर निकाल लिया, फिर भी विवाद उठने पर समाधान के लिए तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा राज्य सरकार से दिनांक 16.09.2006 को मार्ग दर्शन मांगने पर सरकार के राजस्व ग्रुप-6 ने भी जब एससी से गैरएससी/ नगर परिषद/ अन्य संस्था के सभी विक्रय सौदे व उसके संबंधित सभी दस्तावेज/पेपर को एक ही आदेश से एक ही बार में विधि शून्य (फियुज) मानकर दिनांक 13.11.2006 को पत्रादेश जारी करके नगर पालिका को तो इस भूमि में से बाहर निकाल कर एससी खातेदार को यथावत करके वापस एससी को इस भूमि में लाकर सरकार ने प्रकरण का पुण्यरुपेण-पुर्णतया से निस्तारण कर दिया था, फिर भी पहले व आज दिन तक सिरोही बोर्ड व उनसे संबधित स्थानीय पॉवर/ स्थानीय सत्ताधिश मद-भ्रम व एससी विरोधी पहले से व अब भी सरकार, न्यायिक निर्णय व एससी-एसटी पक्ष के विधि विधान संविधान के विरुद्ध जाकर खिलाफत, वाद-विवाद, अपिल, एसएलपी, केस बाजीयां/ राठौड़ी बेसलेस-अनर्गल कमेंट्स करते रहने या फिर बारंबार या अब वापस बिना राज्य सरकार से मार्ग दर्शन के आपात बैठक करते रहने या फिर राजकीय-न्यायिक निर्णयों/सरकारी आदेशों/ संविधानिक प्रक्रिया-प्रावधानों/ अधिनियमों के तहत एससी-एसटी के रक्षार्थ/संबधित लोकनिति, एससी सुरक्षा के फर्ज या एससी-एसटी के लिये विशेष एट्रोसिटी एक्ट या अन्य सभी राजकीय व संविधानिक व्यवस्थाओं से अनभिज्ञ रहकर कानूनी सुरक्षा घेरे तोड़ने/ आदेश निर्णय नहीं मानने व बार बार चुनोतीयां- जबरदस्ती करने वाले, एससी वाले के उपर दवाब देने से उनके विरुद्ध राज्य सरकार के राजस्व विभाग से प्रवृर्तित अनुशासनात्मक कार्यवाहियां करने के राज्यादेश दिनांक 22.12.2022 में व बाद लगातार यादी पत्र निकले हैं। ऐसे ही सभापति महेंद्र मेवाड़ा के काल में एससी की इस भूमि को लेने की बोर्ड बैठक 17.11.22 को हुई, तब गृह ग्रुप-13 विभाग ने परिवाद संख्या 8389 दिनांक 18.11.2022 का दायर, जिसकी पुलिस थाना सिरोही के पास कार्यवाही पेंडिंग है, आयकर विभाग को हटाने के लिए 10.02.2006 को और बाकी सारी गलत निलामीयां, उसके पट्टे-परमिशन इत्यादि निरस्त करने, सारे अतिक्रमण तोड़ने का पत्रादेश भी वर्ष 2019 में ओलरेडी एससी पक्ष में पारित हो रखे, जिसकी पालना तहसीलदार सिरोही के पास आदेशित कर रखी है, प्रकरण का पुर्णतया निस्तारण करने का प्रस्ताव भी नगर परिषद ने एससी के हित पक्ष में दिनांक 03.10.2013 को पारित किया, जिसको उस दौरान के सभापति, सभी कमेटी अध्यक्ष-शेरों व प्रतिपक्ष नेताचित-कितचिते, नग चिंतकों के द्वारा प्रस्ताव पारित करके प्रशासनिक कमेटी के निर्णय-संकल्पों की पालना सुनिश्चिता कराने क्रम में निदेशक विधि, एलए, तहसीलदार आदि सभी रिपोर्ट पर निदेशक डीएलबी, फिर एसडीएम- एसडीएम से संभागीय आयुक्त राजस्व न्यायालयों से अब राजस्व मुख्य जिला मजिस्ट्रेट (कलेक्टर साहब) को निर्णय करने के लिये आदेशित कर रखा है।
दुसरी ओर सिविल में हाईकोर्ट डीबी ने भी पेज 13 (सेकेंड लास्ट पेरेग्राफ) पर निर्णय देकर नपा को इस भूमि से निकाल दिया व सुप्रीम कोर्ट जैसी सिविल सर्वोच्च सभी विधिक केंद्रों में एससी-एसटी पक्ष को ही न्यायिक माना है। एससी को सरकार, न्यायालय, सभी से शरण मिली, सुरक्षा दी और देने के लिये पाबंद, कटिबंध व प्रतिबंध किये गये है। एक बार पारित हो जाने बाद प्रभावी प्रस्ताव संबंधित सभी सरकारी विभागों, राजस्व- सिविल न्यायालयों व अन्य सभी जगह कार्यवाही में प्रस्तुत उपयोग हो चुका/रहा है। तो फिर बारंबार जैसे कि पॉवर ऑफ अर्टोनी से समझोते, प्रस्ताव, बेचान, समर्पण, शपथ-पत्र जैसे महत्वपूर्ण डोकुमेंट एक बार कार्य में प्रस्तुत होने बाद उसको वापस लेने या उसके विपरित करने का कानून नहीं है। वैसे भी पुलिस ने भी दिनांक 03.10.2013 के प्रस्ताव को विस्तृत अनुसंधान करके बकायदा सही माना व न्यायिक प्रक्रिया पुर्ण कर वर्ष 2016 में उसके सही होने की एफआर व सक्षम न्यायलय से उसकी एफआर स्वीकृति-मंजुरी भी दे दी। अब प्रस्ताव को पुनः फर्जी कहने के फर्जीवाड़े चलते रहे। प्रशासनिक समिति के प्रस्ताव का अनुमोदन निदेशालय से होने पूर्व सभापति ताराराम माली बोर्ड काल की बैठक दिनांक…. प्रस्ताव नंबर .. भी एवं पारित व निर्णित प्रस्ताव की पालना प्रस्तुति अनुमोदन होकर माननीय राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर डीबी ने भी एससी की स्पे अपील 1103/2017 को स्वीकृत करके निर्णय पेज 13 पर देकर नगर परिषद को इस भूमि में से निकाल दिया। इससे पहले ही स्वायत शासन व उसकी डीएलबी ने भी एससी-एसटी की भूमियों पर इस योजना को नहीं बनाने के स्टेन आदेश और साथ ही सरकार की ओर से भी आदेश है कि यह योजना अब प्रभाव में नहीं व सभापति महेंद्र मेवाड़ा काल की बोर्ड बैठक दिनांक 17.11.22 में राजीवनगर की मुल योजना को एवं इसके सभी आवेदकों, फॉर्म सबकुछ ओल्ड इज गोल्ड पुराने निरस्त/ जडमुल से उखाड समाप्त करें है।
डीबी की राय के हिसाब निर्णय से गैरएससी/ संस्था को एससी-एसटी की कृषि भूमियों को देने के सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है, बल्कि राजस्थान रेवेन्यू कृषि भूमि आवंटन रुल्स-1970 की धारा 6 (3) ऐसे विधि विरुद्ध करने के लिये सरकार को पाबंद/ प्रतिबंधित भी करता रोकता है। डीबी ने राय में यह भी गलत दर्शाया है कि आयकर विभाग, स्कुल, निवास भूखंडों की भूमि एससी खातेदार तेजाराम गोयल ने दी है, जबकि नगर पालिका की कानूनी भूल व उनके सत्ताधारीयों व स्थानीय प्रशासन की पॉवर-सत्ता मद की गैर जबादारान कानूनन भूल से आयकर, स्कूल व निलामी भूखंडों पर जो भी पक्के निर्माण मात्र एससी-एसटी की कृषि भूमियों में अतिक्रमी व अपराधी है। बैंक/ सोसाइटी से ऋण लेकर जमा नहीं कराने पर भी एससी-एसटी उनके जाति वर्ग वाले जो रकम जमा कराते या निलामी वगैरहा में लेते उनको ही वह भूमि मिलती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके प्रकरण 6741-6742/ 2012 के निर्णय दिनांक 20.09.2012 में संस्था भी एससी-एसटी की कृषि भूमियां नहीं ले सकने व ऐसी गलत प्रेक्टिस को एवोइड करने का एससी-एसटी के पक्ष में स्पष्ट सारे फैसले दिये है, जिसका विस्तृत स्पष्टीकरण परिपत्र दिनांक 05.02.2013 को राजस्व ग्रुप-7 से जारी है, फिर भी बार बार आने वाले नए-नए बोर्ड व उनके सत्तामत बेहोशी में ऐसे एससी-एसटी के विरोधियों वास्ते सरकार से विभागीय कार्यवाही जारी व अपराधिक न्यायिक कार्यवाहीयां भी प्रकरण में सब के लिये भारी है।
अब इसमें कोई बाकी नहीं रहा व सबकुछ हो जाने के बाद भी सिरोही नगर परिषद बोर्ड से अबतक सरकार, संविधान, एससी को चुनोती पहले व अभी भी इसकी आपत खपत बोर्ड बैठक होने पहले ही कि VC में क्या हुआ? इसकी खबर सच्चाई तो सरकार से एसडीओ और नपा से सभापति, आयुक्त ही बतायेंगे? तीनोंं जिला विधिक सेवा प्रा.की न्यायिक वीसी में हाजिर रहे। Hon’ble Supreme Court Legal Services Authority Jodhpur had come to the meeting (dated 15.07, 18.07, 19.07.2024) form VC, if the Chairman, Officer Commissioner and SDO had presented the truth of the VC’ result in front of everyone कि एससी की भूमि नगरपरिषद की नहीं होती, तभी तो प्रशासन को यह भूमि लेने की कानूनी भुल का एहसास और सरकारी आदेश विरुद्ध नहीं लडे के/ नहीं लडे आगामी बोर्ड बैठको में नोट ऑफ डिसेन्ट वगैरह आदि याद रहे।
जैसा की सोशल मीडिया में राजीव नगर प्रकरण को लेकर गूंज मची हुई है व तरह तरह की भ्रमना फैलाई जा रही है।जिसमे ऐसा प्रतीत हो रहा है की आवेदकों को चुना लगा,नीलामी व आवंटन करने वाली नगर पालिका यह ज्ञात नही कर सकी की राजीव नगर की भूमि से अतिक्रमन नही हटी मौजूदा बोर्ड ने उधान भी बना लिए व प्रभावशाली आज भी काबिज है। ओर एससी वसीयत धारक छगन पुराजी न्याय के लिए भटक रहा है।।। गैरएससी/ नगरपरिषद या अन्य कोई भी संस्था एससी की कृषि भूमि तो नहीं ले सकते थे, फिर भी तत्कालीन कलेक्टर रोहित आर ब्रांडन, एसडीओ भगवान सहाय, तहसिलदार, सब रजिस्ट्रार, नपा इओ, टॉऊन प्लानर आदि भूमि लेने वाली पुरी क्रेता टिम/पक्षकार ने वर्ष 1988-89 मे विधि विपरीत जाकर एससी-एसटी की भूमि ली, वाह और आने वाले उनसे भी फुल कदम आगे एससी की भूमि को खुद की बताकर खुदका व सबका आर्थिक नुकसान, धोखा-घोटाला, बिन अधिकार के रकम ऐंठने, अत्याचार, अतिक्रमण, गले की फांस, चुना लगाने, समय बर्बादी, झुठे भ्रम, पांव पर कुल्हाड़ी मारने, सबक जैसे बारंबार गलती व गुनाह किये।
… यहां तीन दशक से राजीव नगर आवासीय योजना आवेदक या एससी खाते धारक गलती गुनाह करने वाले स्थानीय राज. अधिकारी, लोकल नेता,जन प्रतिनिधि सब जब जज बन गये, तो अब इनकी किसकों शिकायत करें?..
अब 30 जुलाई गुरुवार को सिरोही नगर परिषद ने बोर्ड मीटिंग आहूत की है जिसके एजेंडे का प्रथम बिंदु राजीव नगर आवासीय योजना है।। बेठक की सूचना सांसद लुम्बाराम चौधरी व राज्य मंत्री ओटाराम देवासी को भी दी है।। राजीव नगर प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक पहुच गया है, जिसके निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी सभी पक्षो को नोटिस जारी कर वीसी से सुनवाई करी है। जिला कलेक्टर न्यायालय में भी इसी को लेकर प्रकरण पैंडिंग है। न्यायिक सच्चाई व विधिक समझाइश VC की सीडी और उसमे कनेक्ट हुऐ आयुक्त, सभापति व सरकार से प्रभारी एसडीओ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस प्रकरण का खुलासा कर बतायेएंगे, वरना बाद में भी एससी की कृषि भूमियां नहीं हो, तो उसका जिम्मेदार कौन, एसडीओ- आयुक्त या ओर कोई? सभापति को विधिक समाइश में स्पष्ट कहा कि सरकार और डीबी दोनों ने इस भूमि से नगर परिषद को बाहर निकाल दिया है, एससी को ही यथावत रखा। लोकल बोडी कोई सरकार से उपर नहीं है। यह भी समझाया कि सरकारी आदेश, न्यायिक निर्णयों, भारत के संविधान इत्यादि के विपरित जाकर एससी एसटी की कृषि भूमियों को लेने के लिये नगर परिषद को एससी-एसटी बनायोंगे, जो आपात बैठक बुलाने पर भी नहीं हो सकेगा।
VC की पुरी रिल रिपोर्ट सब सुप्रीम कोर्ट के पहुंच में दर्ज हो गई है। राजीव नगर भूमि प्रकरण कोर्ट मेटर है, ना कि बोर्ड मेटर। जिसका न्यायिक निर्णय तो सुप्रीम कोर्ट से ही होगा। अब 30 जुलाई की बेठक में सांसद, विधायक कोंग्रेस बोर्ड,विपक्ष राजीव नगर आवासीय योजना के महा भरस्टाचार, आवेदकों से छल व एससी खातेधारक के हक किसके हक में फैसला होता है इस पर सब की नजर है?





संपादक भावेश आर्य