
निर्दलीय विधायक संयम लोढा के विजन व विकास की राजनीति को भेद पायेगी भाजपा?
आकंठ भीतरघात, परिवार वाद व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा में लुंज पुंज है भाजपा संगठन, निर्दलीय विधायक संयम लोढा से सीट छीनना चाहता है संघ,पर भाजपा की फुट बना रही लोढा की राह आसान।
सिरोही(हरीश दवे)।

आगामी लोक सभा चुनावों से पहले तीन राज्यो के विधानसभा के चूनाब इंडिया व एनडीए गठबंधन के लिए सेमीफाइनल साबित होंगे।जिसमे राजस्थान की राजनीति में सत्ता परिवर्तन को आतुर भाजपा ने अपनी पहली सूची में 41 प्रत्याशियों की घोषणा के साथ सांसदों को भी प्रदेश की विधान सभा को सीटों पर उतार नया राजनीतिक प्रयोग भले किया हो पर जनरल ब्राह्नन,राजपूतों की टिकट बंटवारे में अनदेखी व लोकल प्रत्याशियों के साथ पूर्व सीएम व भाजपा की कद्दावर नेता श्रीमती वसुंधरा राजे को नजर अंदाज करने की नीति व सामूहिक नेतृत्व की भाजपा की रणनीति का शोर भले ही हो राजस्थान का चुनाव भाजपा हिंदुत्व व पीएम मोदी के चेहरे को सामने रख चुनाव लड़ रही हो।और सत्तारूढ़ कोंग्रेस पार्टी में भी भले ही गुट बाजी चरम पे हो पर जादूगर सीएम अशोक गहलोत की जन कल्याणकारी योजनाओं व राहत कैम्पो के फायदे,शहरी,ग्रामीण नरेगा योजना,बिजली में राहत,कर्मचारी व संविदा कर्मियों के हित मे लिए गए फैसले व विकास कार्यो के बूते कोंग्रेस सरकार को योजनाओ के फायदे का सीएम गहलोत का जादू मतदाताओं व कोंग्रेस के प्रतिबद्ध मतदाताओं के दिल व दिमाग दोनो पर असर डाल रहा है।
जबकि कोंग्रेस के साथ भाजपा में मची अंतर्कलह के नतीजे दोनो ही पार्टियो को पूर्ण बहुमत मिलने के जनादेश के अरमानों पर पानी फेर सकते है व दोनो ही पार्टियो के नेता आज प्रदेश के दौरे पे है और प्रत्यशियों की घोषणा के बाद दोनों पार्टियों में जम कर बगावत व “आयाराम -गयाराम” कल्चर के जीवंत होने के साथ भाजपा व कोंग्रेस दोनो पार्टी के नेता कुर्सी के लिए विचार धारा को खूंटी पे टांक सत्ता के लिए दल बदल करेंगे इन सभी संभावनाओं के बीच प्रदेश की हॉट जनरल सीट सिरोही विधानसभा सीट चर्चित हो चुकी है जिसमे मौजूदा गहलोत सरकार को अस्थिरता से उबारने वाले सीएम सलाहकार निर्दलीय विधायक संयम लोढा से भाजपा को यह सीट जितने में लौहे के चने चबाने पड़ेंगे क्यो की परिवार वाद,जातिवाद व अंतर्कलह से घिरी भाजपा के टिकट के दावेदार ही पार्टी के लिए खाई खोद रहे है जिसमे भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी ब भाजयुमो जिलाध्यक्ष गोपाल माली के खिलाफ विरोध के स्वर गूंज रहे है वही महिला मोर्चा, किसान मोर्चा व अन्य मोर्चा परकोष्ठ कागजो व मीडिया में ही अपनी भूमिका निभा रहे है ऐसी स्तिथि में क्या भाजपा व संघ क्या यह सीट जीत पाएगी? यह सर्वत्र चर्चा का विषय है।

पीएम मोदी जहाँ परिवार वाद के खिलाफ आवाज बुलंद करते है व उन्होंने कभी स्वयं भी अपने परिवार में परिवार वाद को बढ़ावा नही दिया व भाजपा सदैब कोंग्रेस को परिवार वाद व गांधी परिवार को परिवार वाद के खिलाफ घेरती रही।पर जिले में भाजपा संगठन स्वयं परिवार वाद से अछूता नही रहा।1980 में भाजपा के गठन के बाद उभरे नेता पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष श्रीमती तारा भण्डारी सिरोही,स्वर्गीय छोगाराम जी पुरोहित, दिवंगत विधायक जयन्ति लाल कोली,प्रभुराम गरासिया,पूर्व जिलाध्यक्ष स्वर्गीय विनोद परसराम पुरिया, सुरेश सर्राफ,पूर्व जिला महामन्त्री हंसराज पुरोहित, पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चोधरी भाजपा की लीडर शिप में उभरे। राजनीतिक पृष्ठ भूमि में इनके परिवारों को भी राजनीति में तरजीह मिली जिसमे जिला प्रमुख अर्जुन पुरोहित, एडवोकेट अशोक पुरोहित, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष डॉ रक्षा भण्डारी व पूर्व जिलाध्यक्ष अरुण परसरामपुरिया ने संगठन में कार्य किए व राजनीतिक सीढ़िया चढ़ी।पूर्व विधायक जयंतीलाल कोली का स्थान उनके भाई विधायक जगसीराम को मिला तो प्रभुराम जी गरासिया की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी उनके भाई दुर्गाराम व प्रधान टीपू गरासिया रहे।जिला प्रमुख के पूर्व के चुनावों में भाजपा संगठन को अन्य कोई महिला प्रत्याशी को तरजीह नही मिली।परिवार वाद में टिकट पायल जी परसराम पुरिया व श्रीमती लक्ष्मी देवी की दावेदारी या प्रधान के लिए डॉ रक्षा भण्डारी को टिकट मिले व विधायक के दावेदार लुम्बाराम चोधरी ने अपने पुत्र कानाराम चोधरी को जिला प्रमुख बनाया। इससे पूर्व भाजपा की भीतर घात से पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद परसरामपुरिया को भाजपा ने वर्चस्व की लड़ाई में हराया व गत पंचायती राज चुनावो में भी भीतर घात हुई व उसकी फलश्रुति गत चुनावो में भोपाजी को परिवार वाद की राजनीति व उसके साइड इफेक्ट में पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों की उपेक्षा का परिणाम सिरोही विधान सभा व सिरोही नगर परिषद व शिवगंज नगर पालिका गवा कर उठाना पड़ा।
उसके बाद मौजूदा विधायक संयम लोढा ने संघ व भाजपा संगठन में जबरदस्त सेंधमारी कर सोसल इंजीनियरिंग में हर जाति वर्ग को विकास कार्यो व अनेक योजनाओ में पब्लिक सेंटीमेंट से जनता व मतदाताओं के दिल व दिमाग मे विकास पुरुष की छाप छोड़ी।। वर्तमान में पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, पूर्व गोपालन मन्त्री ओटाराम देवासी व पूर्व जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया की प्रबल दावेदारों में दर्जनों जनो की दावेदारों में भाजपा अब सिर्फ टिकट प्रत्यशियों की पार्टी बन के रह गई है।जिसमे भाजपा को जिताने की जगह टिकट के प्रत्याशी भाजपा के लिए खंदक खोद रहे है। व जातिवाद की राजनीति में भोपाजी ओबीसी व पगड़ी, साफा व देवासी समाज की बहुलता में टिकट की आजमाइश में अंतिम घोड़े दौड़ा चुके है।वैश्य महासम्मेलन व अग्रवाल कम्युनिटी के अलावा एक लॉबी पूर्व जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया के लिए अड़ गई है तो संघ के एक प्रमुख प्रचारक नारायण पृरोहित को टिकट देने के लिए अड़ गए है। भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित व एडवोकेट अशोक पुरोहित ने परिवार वाद के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है लोकल व जनरल पुरोहित समाज को टिकट देने की मांग विप्र सेना व ब्राम्हण महापंचायत कर जता दी है।और ब्राम्हणो को टिकट नही मिला तो भाजपा में बगावत हो सकती है तो राजपूत समाज भी अभी नही तो कभी नही दलीप सिंह मांडणी व मांगू सिंह बावली भी टिकट की दौड़ में अंतिम बाजी लगा चुके है।। अभी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उदयपुर व जोधपुर में टिकट व चुनावी रणनीति पर चुनाव कोर कमिटी,प्रदेश पदधिकारो, सांसद विधायको की बेठक ले रहे है।तो कोंग्रेस के रास्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व सीएम गहलोत व केंद्रीय पदाधिकारी बारां से भाजपा को घेरने व चुनावी रणनीति व टिकटो पे फैसला करेंगे।। इससे दूर आगामी चुनावों में अपनी विजय के प्रति आश्वस्त मौजूदा विधायक संयम लोढा कल दिल्ली में कोंग्रेस कार्यालय जा कर आये।

अब विधायक संयम लोढा को कोंग्रेस टिकट देती है या नही पर कोंग्रेस के पास विधायक संयम लोढा को छोड़ कोई विनिंग कैंडिडेट नही है।विधायक लोढा ने कोंग्रेस से टिकट मांगा या नही पर अनेक कोंग्रेसी उनका टिकट कटवाने में एड़ी चोटी का जोर लगा सकते है।पर कोंग्रेस संगठन को कोंग्रेस के एसोसिएटेड मेंबर लोढा को राजनीतिक शक्तियो व कोशल का पूरा ज्ञान है व सिरोही, जालोर,पाली जोधपुर संभाग तक विधायक लोढा कोंग्रेस की हवा बना भाजपा की आक्रामकता को कमजोर कर सकते है। वेसे विधायक लोढा ने सीएम पुत्र व आरसीए अध्य्क्ष वैभव गहलोत को कोंग्रेस सिरोही विधानसभा से चूनाब लड़ाना चाहे तो उन्होंने वैभव गहलोत को जिताने की जिम्मेदारी भी ले ली है। अब आने वाले दिनों में भाजपा व कोंग्रेस किसे टिकट देती है इस पर सबकी नजर टिकी हुई है।पर यह तय है की सीएम पुत्र वैभव गहलोत सिरोही जनरल सीट से चुनाव नही लड़ते तो विधायक संयम लोढा कोंग्रेस या निर्दलीय मजबूत उम्मीदवार है।जिसे हराने में संघ व भाजपा कोनसा फार्मूला गढ़ती है।पर भाजपा को भीतर घात से उबरना मुश्किल नजर आता है।अब भाजपा सिरोही विधानसभा में निर्दलीय विधायक संयम लोढा को हराने कोई सांसद या सेलिब्रेटी भेज भाजपा को मजबूत व एक जुट करे वो अलग बात बाकी विधायक संयम लोढा ने आगामी चुनावों की चौसर बिछा दी है।जातिगत समीकरणों में इस बार प्रत्यशी खड़े होंगे।भाजपा की अब तक न बूथ की टीम न शक्ति केंद्र,न पन्ना प्रमुख 70 फीसदी मिस कॉल सदस्यता विचारधारा वीहीन भाजपाई कल्चर लोढा के कदमो पे ऐसी हालात में कोई अजूबा ही सिरोही विधानसभा की अहम सीट से विधायक लोढा को विधानसभा में जाने से रोक सकता है।
भाजपा के प्रत्यशियों को खतरा भाजपा के नव प्रवेशी दलपत राम पृरोहित से मिल सकता है जो हर हाल में चुनाव लड़ेंगे व उनका एलान है की जनरल सीट पे जनरल का हक है पार्टी अगर जितने वाले को टिकट नही देगी तो जिले की गोशाला व हिन्दू संगठनों का उन पर चुनाव लड़ने का दवाएं नया गुल खिला सकता है।। इस बात में कोई संदेह नही की सिरोही जिला भाजपा का गढ़ रहा है पर परिवार वाद,कारोबार वाद व जातिवाद से ग्रस्त भाजपा संगठन गत दो दशकों में विचार धारा से परे जनरल जातियो का विश्वास खो रहा है ब भाजपा ने गत वर्षों में परिवार वाद को बढाने अलावा निस्ठावान समर्पित कार्यकर्ताओ को संगठन से दरकिनार कर भीतर घात को पुष्ट किया यही भस्मासुरी नीति अब भाजपा संगठन को लील रही। जो विधायक लोढा की जीत की संजीवनी बन रही है।

संपादक भावेश आर्य