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होलाष्टक एवं माताजी का अगता होने से कुल 16 दिन शुभ कार्यों पर रहेगी रोक- दवे

17 मार्च 2024 से 01-04-2024 तक कुल 16 दिन रहेगी रोक

सिरोही(हरीश दवे)।

होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक एवं होली से आठ दिन पश्चात माताजी का अगता होने के कारण कुल 16 दिन समस्त शुभ कार्यों पर रोक रहेगी।
ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप दवे ने बताया कि फाल्गुन शुक्ला अष्टमी रविवार दिनांक 17-मार्च-2024 से फाल्गुनी पूर्णिमा (होली) दिनांक 24-मार्च-2024 तक कुल आठ दिन होलाष्टक रहेगा, जो होलिका दहन के साथ समाप्त होगा।
होलाष्टक समाप्त होते ही दिनांक 25-मार्च-2024 से शीतला सप्तमी दिनांक 01-अप्रेल-2024 तक कुल आठ दिन माताजी का अगता रहेगा।
भारतीय ज्योतिष, लौकिक एवं स्थानीय मान्यतानुसार इस अवधि में मौज मस्ती, हास-परिहास, व्यंग्य-विनोद, हँसी-ठिठोली, फाग-गायन, चंग-वादन, हुडदंग, गेर नृत्य, ढूँढ, सामाजिक मेल-जोल बढाने, मानसिक तनाव दूर करने तथा शीतला माता व ओरी माता की आराधना करने के लिए कुल 16 दिन तक समस्त शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। साथ ही इन दिनों में आकाशीय ग्रह शिथिल रहते हैं, जिससे उनका प्रभाव नकारात्मक रहता है। इसी कारण मनुष्य के शरीर की प्रकृति शिथिल हो जाती है तथा दिन में नींद, सुस्ती व आलस्य का प्रभाव बढ जाता है तथा रात्रि की नींद कम हो जाती है।


क्या होता है होलाष्टक-

होली से पूर्व जो आठ दिन होते है, उसे “होलाष्टक” कहते है। यह होलाष्टक फाल्गुन शुक्ला अष्टमी से फाल्गुनी पूर्णिमा (होली) तक कुल आठ दिन रहता है। इस अवधि में ग्रहों के शिथिल होने से उनका प्रभाव नकारात्मक रहता है, जिससे शुभ कार्य करने की मनाही है। यह होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च होलिका दहन तक मान्य रहेगा।

क्या होता है अगता-

स्थानीय भाषा में “अगता” मतलब “आराधना”। लौकिक, धार्मिक एवं स्थानीय मान्यता अनुसार चेचक से बचने के लिए होलिका दहन से लेकर शीतला सप्तमी तक कुल आठ दिन, शीतला माता व ओरी माता को प्रसन्न किया जाता है। इसके लिए सभी महत्वपूर्ण कार्य रोक कर बडी चेचक से बचने के लिए शीतला माता व छोटी चेचक से बचने के लिए ओरी माता की आराधना की जाती है।
पहले चेचक का बहुत प्रकोप रहता था और छोटे-छोटे बच्चे काल के ग्रास बन जाते थे। अतः बडी चेचक व छोटी चेचक से बचने के लिए शीतला माता व ओरी माता के भजन, गीत तथा ठंडा भोजन का प्रसाद चढाकर शीतला व ओरी माता को प्रसन्न किया जाता था, तभी से यह परंपरा चल रही है। यह माताजी का अगता 25 मार्च 2024 से 01 अप्रेल 2024 तक मान्य रहेगा।

संपादक भावेश आर्य

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