राज्य

बिट्टा ने अनेक मंदिरो में मथा टेक कर अमन चैन की कामना कीबिट्टा ने आंतकवाद के विरूद्ध लड़ने की विधाथियों को शपथ दिलाई


सिरोही(हरीश दवे) ।

आंतकवादी निरोधी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम. एस. बिट्टा ने सिरोही जालौर व सांचैर जिले के अनेक प्राचीन धार्मिक स्थलों पर माथा टेक कर देश मेे खुशहाली अमन चैन की प्रार्थना की। उन्होनें अनेक जैनाचार्यो से भेंट कर उनसे आर्शीवाद लिया ओर कहा कि जैन धर्म में ’’ जीओं ओर जीने दो ’’ की जो भावना है उससे देश में भाईचारा सदैव मजबुत बना रह सकता हैं। जैन धर्म न केवल मानव बल्कि प्राणी मात्र की रक्षा की शिक्षा देता हैं। उन्होनें दिल्ली से पहुंच कर सुन्धामाता में दर्शन-पूजन किया। जहाॅ पर सुन्धामाता ट्रस्ट के चेयरमेन ईश्वरसिंह देवल व उनके ट्रस्टियों ने उनका बहुमान किया व सुन्धामाता तीर्थ के इतिहास की जानकारी दी। वहां से वे हाडेचा में बने कीर्तिस्तम्भ नूतन जिनालय पहुंचे जहाॅ पर हाडेचा जैन तीर्थ के चेयरमेन एवं उधोगपति बाबुलाल भंसाली ने बिट्टा का स्वागत कर उन्हें नूतन जिनालय की जानकारी दी व दर्शन करवायें।
23 फरवरी को सुबह पावापुरी तीर्थ में 24 वें ध्वजारोहण में शामिल हुऐ ओर चैमुखा महावीर स्वामी जिनालय में ध्वजा फहराने का लाभ लिया। पावापुरी में उन्होनें सुमेरपुर से आये स्कुली विधाथियों को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि उन्हें अपने देश की रक्षा के लिए मजबुती से काम करना हैं। उन्होनंे सभी को राष्ट्र धर्म एवं आंतकवाद के विरूद्ध लडनें की सामुहिक शपथ दिलाई। वहां से वें 9 वीं शताब्दी के अतिप्राचीन हमीरपुरा पाश्र्वनाथ पहंुचे ओर वहां पर परमात्मा के दर्शन कर शिल्पकला का अवलोकन किया। मीरपुर में नये बने जहाज मंदिर में विराजित किऐ गये मुनिसुव्रत स्वामी ओर इसी धरती पर जन्में पूज्य गुरूदेव पाश्र्वयशचन्द्रजी की नुतन प्रतिमा के दर्शन कियें। ट्रस्टी पदमचंद जैन व अन्यों ने उनका स्वागत कर नुतन जहाज मंदिर के बारे में जानकारी दी। जहाज मंदिर बनाने की प्रेरणा देने वाली साध्वीश्री सुनंदिताश्रीजी एवं मुनिराज धर्मरत्नचंद्र म. सा. से आर्शीवाद लिया। साध्वीश्रीजी ने बिट्टा से कहा कि वे राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए हमेशा डटे रहे। यहां से वे आचार्य भगवंत तपोरत्नसूरिजी एवं उनके साथ पैदल विहार कर रहे 20 से अधिक साुध-भगवंतो से नितोड़ा में भंेट कर उनके साथ पैदल विहार कर नितोडा जैन मंदिर पहुंचे। यहां पर आचार्यश्री ने जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों सम्मेतशिखर, पालीताणा, गिरनार व शंखेश्वर के बारे में विस्तार से जानकारी दी ओर भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित विभिन्न तप-आराधना के बारे में बताया ओर कहा कि भगवान महावीर ने अपने जीवन काल में कठोरतम तपस्या की ओर उनको अनेक उपसर्गो से गुजरना पडा जिनमे नाग के डसने व उनके कानों में कीले ठोकने के ऐसे प्र्रसंग है जो सिरोही जिले के नांदिया व बामणवडा तीर्थ में हुऐ।
नितोड से वे करोटी मंे छःरि पालित संघ के संघपति रमेश कुमार मुलचंदजी परमार एंव तीर्थ यात्रियों के बीच बिट्टा पहंचे तो उनका ढोल ढमाको के साथ संघपति परिवार व यात्रियों ने स्वागत किया। यहां आर्चाय भगवंत यशोविजयसूरिजी एवं मुनिचन्द्रसूरिजी म. सा. को वंदन कर उनसे आर्शीवाद लिया। आतंकवाद से किस तरह मुकाबला किया उसके बारे में अपने सस्मरण सुनाये ओर बताया कि टोडरमल जैन को जिन्दा दिवार में चुन दिया फिर भी उन्होनें घुटने नही टेके ओर कुर्बानी का अपना एक इतिहास बनाया। आर्चाय भगवंतो ने बिट्टा को आर्शीवाद देते हुऐ कहा कि उनकी सरलता व सजगता से लोगों को एक बडी शिक्षा मिलती हैं। जीरावला में साध्वीश्री प्रशामिताश्रीजी के साथ उपस्थित दो दर्जन से अधिक साध्वी भगवंतो से भेंट कर उनका आर्शीवाद लिया ओर उनको भी अपने सस्मरण सुनायें। बिट्टा ने कहा कि उनकी इच्छा है कि उनकी मृत्यु हो तब उनका दाहसंस्कार जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ पालीताणा में हो ओर उनके माथे पर ’’ जीओ ओर जीने दो ’’ का ध्वज लगाया जावें।
जीरावला तीर्थ में उपधान करवाने वाले संघवी लीलचंदजी हुक्मीचंदजी बाफना परिवार के प्रकाश भाई, सुरेश भाई व रमेश भाई संघवी ने बिट्टा का स्वागत किया। यहां उन्होने मालगांव निवासी बाल साध्वीश्री दिग्नतप्रज्ञाश्रीजी से भेंट कर उनके दर्शन किए।
जीरावला में आरती का लाभ लेने के बाद वे आबुरोड पहंचे ओर वहां से राजधानी से दिल्ली के लिए रवाना हुऐ।

संपादक भावेश आर्य

Related Articles

Back to top button