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जो संघमय है वही समाज हो जाये के भाव के साथ संघ की यात्रा जारी


100 वर्ष पूर्व बोया बीज आज विशाल वटवृक्ष बना, एक नये क्षितिज की और बढ़ रहा है संघ


सिरोही 12 अक्टूबर(हरीश दवे) ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना व शताब्दी वर्ष के अवसर पर रविवार को नगर की सार्दुलपुरा बस्ती, कुष्णापुरी बस्ती, सरियादेवी बस्ती और महाकाली बस्ती में बौद्धिक सत्रों के उपरांत पथ संचलन का आयोजन किया गया। चारों स्थानों से निकले पथ संचलन में करीब 600 से अधिक स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में सहभागिता की। पथ संचलन के माध्यम से स्वयंसेवकों ने अनुशासन, एकता और राष्ट्रनिष्ठा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। इससे पूर्व अतिथियों ने डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार,सदाशिव गोलवरकर एवं प्रभु श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण किया। ध्वज प्रणाम कर सिर पर टोपी और हाथों में लाठी लेकर निकले स्वयंसेवकों की कदम ताल और अनुशासन देखकर हर कोई हैरत में पड़ गया। पथ संचलन जिधर से गुजरा, वहां वहां पथ संचलन पर फूल वर्षा कर स्वागत किया गया। संचलन मार्ग को उपस्थित लोगो ने इस दौरान भारत माता की जयकारों से गुंजायमान कर दिया।
प्रत्येक बस्ती का अलग संचलन मार्ग एवं मुख्य वक्ताओ का बौद्धिक
सार्दुलपुरा बस्ती- सार्दुलपुरा बस्ती में सुबह 9.30 बजे शस्त्र पूजन, बौद्धिक के बाद पथ संचलन संतोषी माता चौक,सार्दुलपुरा कॉलोनी,शास्त्री नगर,अमर नगर,सैनिकवास होते हुए नयावास से पुनः संतोषीमाता चौक पर समापन हुआ। इस बस्ती में मुख्य अतिथि सेवानिवृत अध्यापक गुलाबसिंह राठौड,मुख्य वक्ता प्रांत सह घोष प्रमुख अनिल जी एवं जिला संघ चालक डॉ. जगदीश आर्य सेवानिवृत वरिष्ठ नैत्र चिकित्सक का सानिध्य रहा। मुख्य वक्ता अनिल जी ने कहा कि “एकम् सत्यं विप्रा बहुधा वदन्ति” सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारे हिन्दू दर्शन के मूल तत्त्व हैं। और हम सभी इसी के आधार पर अपना जीवन जीते हैं और इसी से भारत की पहचान है। और यही हमारा राष्ट्रीय विचार है और इसी राष्ट्रीय विचार को लेकर डॉ हेडगवार जी ने 1925 में नागपुर की धरती में बीज बोया था आज वो 2025 में 100 वर्ष की यात्रा करते हुए एक नया क्षितिज रचते हुए विशाल वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने उपस्थित है। उन्होंने कहा कि हेडगेवार जी ने कभी यह नहीं सोचा था कि संघ को कितने वर्षों तक चलना है। बल्कि उनका उद्देश्य था कि राष्ट्रीय विचार घर घर पहुँचा कर समाज को संघमय बनाना था ,जो संघमय है वही समाज हो जाये इसी निष्ठा और भावना के साथ संघ ने समाज में कार्य करना आरंभ किया जो आज 100 बर्ष उपरान्त भी उसी राष्ट्र भावना एवं निष्ठा के साथ निरंतर जारी है। मुख्य अतिथि सेवानिवृत अध्यापक गुलाबसिंह राठौड ने भी अपने विचार रखे।
सरिया देवी बस्ती – सरियादेवी बस्ती में सुबह 9 बजे शस्त्र पूजन, बौद्धिक के बाद पथ संचलन रामझरोखा मैदान से आरम्भ हुआ जो कुम्हारवाडा,आर्यूवेदिक अस्पताल से होते हुए राजमाता धर्मशाला से होते हुए पुनः रामझरोखा पर समापन हुआ। इस बस्ती में मुख्य अतिथि डॉ संतोष कंवर बाईसा एवं मुख्य वक्ता नगर कार्यवाह कालूराम सिसोदिया का सानिध्य रहा। मुख्य वक्ता कालुराम सिसोदिया ने अपने बौद्धिक सत्र में कहा कि 1925 की विजयादशमी को प्रारंभ हुआ संघ आज अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग सौ वर्षों की यात्रा में संघ ने आलोचना भी झेली,प्रशंसा भी पाई। आज संघ न केवल भारत का, बल्कि वैश्विक हिंदू समाज का सबसे बड़ा संगठन है। यह केवल संगठन नहीं-एक जीवन शैली है,एक विचार है,और शायद, भारत की धड़कन भी। उन्होने कहा कि संघ समाज में निर्भीकता, सदाचार, धर्मनिष्ठा, देशभक्ति और समरसता के भावना के साथ कार्य करता है। संघ की जीवनशैली और संगठनात्मक दृष्टि समाज के लिए प्रेरणा दायक है।
कृष्णापुरी बस्ती – कृष्णापुरी बस्ती में शाम 5 बजे शस्त्र पूजन, बौद्धिक के बाद पथ संचलन सर के एम विद्यालय मैदान से आरम्भ हुआ जो भरतमेटल से घांचीवाड़ा,पैलेशरोड होते हुए पुनः सर के एम विद्यालय पर समापन हुआ। कृष्णापुरी बस्ती में मुख्य वक्ता जालोर विभाग कार्यवाह जगदीश सोनी का बौद्धिक हुआ उन्होने कहा कि देवी के नवरात्र और विजयादशमी का समय हमारे लिए अहंकार को दूर करने वाला है। स्वयंसेवकों में अनुशासन, समरसता लाने के लिए संघ की शाखाओं में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है, इसलिए संघ की स्थापना पर शस्त्र पूजन और पथ संचलन का कार्यक्रम किया जाता है। उससे जिस प्रकार के स्वयंसेवकों का निर्माण होता है वे समाज में उत्कर्ष कार्य करते हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ.बी.सी.सिन्हा का सानिध्य रहा।

महाकाली बस्ती- महाकाली बस्ती में सांय 5 बजे शस्त्र पूजन, बौद्धिक के बाद पथ संचलन महाकाली बस्ती की सभी गलियों से होते हुए पुनः महाकाली नगर पर समापन हुआ । जिला प्रौढ़ कार्य प्रमुख चैतन्य रावल का बौद्धिक हुआ उन्होने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में जागरण के लिए पांच परिवर्तन का आह्वान किया है। रावल ने कहा कि समाज में जागरूकता लाने, परिवर्तन लाने के लिए पहला कुटुंब प्रबोधन दूसरा सामाजिक समरसता जिसमें पूजनीय सर संघचालक जी ने कहा है की सभी के लिए एक मंदिर, एक कुआं और एक शमशान होना चाहिए तभी हम छुआछूत और जातिवाद के भेद से हम ऊपर उठ पाएंगे। उन्होने कहा कि जन्म शताब्दी वर्ष संघ के लिए ऐतिहासिक अवसर है। यह उत्सव केवल संगठन का नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की संस्कृति, परंपरा और एकता का प्रतीक है। विजयदशमी पर निकाले गए इस संचलन का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति, अनुशासन और सेवा भाव को जागृत करना है।

संपादक भावेश आर्य

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