पिण्डवाड़ा में प्रस्तावित खनन परियोजना का विरोध जारी 20 दिन से से ग्रामीण खनन परियोजना को निरस्त करने कि मांग को कांग्रेस व भाजपाईयो का मिल रहा समर्थन

-खनन संघर्ष समिति और कांग्रेस पदाधिकारियों ने सौपा ज्ञापन,
-खनन परियोजना पर भड़का जनआक्रोश, सचिन पायलट से ग्रामीणों ने लगाई गुहार- धरती नहीं बिकने देंगे
-आबू पिण्डवाडा विधायक समाराम गरासिया ने वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा को सौपा ज्ञापन
सिरोही 9 अक्टुबर (हरीश दवे) ।

पिण्डवाडा क्षेत्र के ग्रामीणो के प्रस्तावित खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। जिसे शुरूआत में कांग्रेस के जनप्रतिनिधियो का समर्थन मिल रहा था वहीं भाजपा जिला संगठन व मंडल से जुडे हुए अनेक पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि भी इस आन्दोलन में शामिल हुए और भाजपा विधायक समाराम गरासिया ने भी इस खनन परियोजना को रद्द कराने को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्री को ज्ञापन सौपा। दूसरी तरफ राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जब उड़वारिया टोल प्लाजा पहुंचे तो पहले से मौजूद ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया और खनन परियोजना को निरस्त करवाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। और कांग्रेस पदाधिकारियों ने भी खनन परियोजना का विरोध करते हुये क्षेत्र हित में ग्रामीणों के समर्थन में पिण्डवाड़ा कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष राकेश देवासी के नेतृत्व में ज्ञापन सौपा गया और खनन परियोजना को तुरंत निरस्त करने कि मांग सचिन पायलट के समक्ष की गई।
ग्रामीणों में परियोजना को लेकर गहरा रोष देखने को मिला। इस दौरान खनन संघर्ष समिति के सैकड़ों सदस्य और आसपास के चार ग्राम पंचायत क्षेत्रों वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा के ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे। ग्रामीणों ने धरती नहीं बिकने देंगे, खनन परियोजना रद्द करो, जल-जंगल-जमीन हमारी, नहीं किसी ठेकेदार की जैसे नारे लगाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीण बोले – खनन से उजड़ जाएगा पूरा इलाका ग्रामीणों ने सचिन पायलट को बताया कि जयपुर की एक निजी कंपनी मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड को क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चूना पत्थर खनन की योजना प्रस्तावित है, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अरावली पर्वत श्रृंखला का संवेदनशील इलाका है और यहां के पहाड़, जलस्रोत व हरियाली क्षेत्र के जीवन का आधार हैं। यदि खनन शुरू हुआ, तो भूजल स्तर गिर जाएगा, नदियाँ सूख जाएंगी और खेतीबाड़ी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
ग्रामीणों ने बताया कि यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और अधिकांश लोग खेती, मजदूरी व पशुपालन पर निर्भर हैं। ऐसे में अगर 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर खनन की स्वीकृति मिलती है, तो ग्रामीणों का विस्थापन और पर्यावरणीय विनाश तय है।
संघर्ष समिति के सदस्यों ने सौंपा ज्ञापन
इस दौरान खनन संघर्ष समिति के सदस्यों ने सचिन पायलट को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि ग्रामीण पिछले कई हफ्तों से आंदोलनरत हैं। विभिन्न स्तरों पर प्रशासन जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
समिति ने मांग की कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस क्षेत्र की खनन स्वीकृतियों को तुरंत निरस्त करे तथा पिण्डवाड़ा तहसील को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित करे।
हर सम्भव सहयोग का आश्वासन
पायलट बोले – जनता की आवाज अनसुनी नहीं होने देंगे
ग्रामीणों की बात ध्यानपूर्वक सुनने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और जनभावनाओं से जुड़ा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस विषय को राज्य सरकार व संबंधित मंत्रालय के समक्ष गंभीरता से उठाएंगे।
पायलट ने कहा कि जनता के हक, अधिकार और पर्यावरण की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।“ उन्होंने संघर्ष समिति को भरोसा दिलाया कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले में आवश्यक पहल करेंगे।
ग्रामीणों में दिखा जोश और एकजुटता
इस मौके पर ग्रामीणों में भारी उत्साह और एकता का माहौल देखने को मिला। महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी ने एकस्वर में खनन परियोजना के विरोध में आवाज बुलंद की। सभा स्थल पर उपस्थित लोगों ने कहा कि यह सिर्फ खनन का विरोध नहीं, बल्कि धरती, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की लड़ाई है।
इन रहे मौजूद
इस अवसर पर संघर्ष समिति के सैकड़ो सदस्य और रानीवाडा विधायक रतन देवासी, पूर्व विधायक संयम लोढ़ा, कांग्रेस पिण्डवाड़ा ब्लॉक अध्यक्ष राकेश देवासी सहित कई पदाधिकारी भी भारी संख्या में मौजूद रहें।
आबू पिण्डवाडा विधायक कहिन
पिण्डवाडा तहसील में जारी खनन स्वीकृतियो को निरस्त करने के संबंध में भाजपा विधायक आबू पिंडवाड़ा समाराम गरासिया ने भी खनन परियोजना के विरोध में वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा को ज्ञापन सौप बताया की मेरे विधानसभा क्षेत्र के पिण्डवाडा तहसील के क्षेत्रवासियों द्वारा पत्र द्वारा अवगत कराया गया की पिण्डवाडा तहसील में अरावली सहित अन्य ऐतिहासिक पहाड़ो पर खनन स्वीकृतियां सरकार द्वारा जारी की गई हैं।
सरकार द्वारा निजी कम्पनियों को दिए गए खनन स्वीकृतियों ने इस क्षेत्र के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को न केवल खतरे में डाला हैं अपितु ग्रामीणों के संवैधानिक अधिकारों को भी आघात पहुँचाया हैं । 19 सितम्बर 2025 को आयोजित पर्यावरण जन सुनवाई में वाटेरा, रोहिडा, भारजा, भीमाणा, डोली फली, पीपला, सहित अनेक ग्राम पंचायतो से आये हजारो ग्रामीणों ने इस प्रकरण में अपनी लिखित आपतिया दर्ज करवाते हुए कहा की यह परियोजना ग्रामीणों के खेत खलिहानों, जंगल, जल स्त्रोत, और जीवन के साथ खिलवाड़ हैं।
इस परियोजना से ई.ए.आई. नोटीफीकेशन 2006 पैसा एक्ट 1996 फारेस्ट राईट एक्ट 2006 संविधान के अनुच्छेद 21 व 51 ए के प्रावधानों के साथ सर्वोच्च न्यायलय के अनल फैसलों का उल्लंघन हो रहा हैं जिनमे स्पष्ट कहा गया हैं की जन सहमती और पर्यावरणीय संतुलन के बिना खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती द्य इस क्षेत्र की किसी भी ग्राम पंचायत ने इस परियोजना के लिए अनापति प्रमाण पत्र नहीं दिया हैं। यही नहीं इस परियोजना के वायु प्रदूषण से स्थानीय लोगो के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव होगा जमीन की उर्वरकता घटेगी भूजल स्तर निचे जायेगा बन एंव बन्यजीव जन्तुओ के प्राक्रतिक आवास नष्ट होंगे। चूँकि ये पहाडियों स्थानीय ग्रामीणों ग्रामीणों की आस्था और परम्परा का प्रतीक हैं इस योजना से उनकी संस्कृतिक व धार्मिक आस्था को भी ठेस पहुंचेगा ।
अतः वन एबम पर्यावरण मंत्री इस मामले में हस्तक्षेप कर पिण्डवाडा तहसील में प्रस्तावित इन खनन परियोजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करवाए।

संपादक भावेश आर्य