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सौगंध राम की खाते है भारत को भव्य बनाएंगे। समाज में परिवर्तन व शक्ति जागरण का कार्य के लिए तत्पर है मातृशक्ति

सिरोही 12 अक्टुबर(हरीश दवे) ।

एक नही दो बार नही हम हर बार यही दोहराएंगे सौगंध राम की खाते है भारत को भव्य बनाएंगे। हिन्दू भूमि का कण कण हो अब शक्ति का अवतार उठे जल थल से अम्बर से फिर, हिन्दू की जय जय कार उठे जग जननी का जयकार उठे । इन्हीं भाव को भरते हुए राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाओं ने रविवार को हाउसिंग बोर्ड स्कूल के सामने वाले मैदान में विजयदशमी को समिति के स्थापना दिवस के 90 वर्ष पूर्ण होने पर शस्त्र पूजन का आयोजन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अम्बिका राणावत एवं मुख्य वक्ता .प्रियदर्शिनी वैष्णव द्वारा दीप प्रज्जवलन करने एवं शस्त्र पूजन व ध्वजारोहण के साथ हुआ । आयोजन के शुभारंभ से पूर्व दिव्याशीं द्वारा शाखा लगई गई उसके पश्चात राष्ट्र सेविका समिति की सह कार्यवाहिका अनिता चव्हाण ने अतिथियों का परिचय करवाया एवं दो खण्डो को ध्वज प्रदान किया। रीटा सोनी ने ध्वज चडाया एवं रश्मि बिस्ट द्वारा प्रार्थना करवाई गई।
मुख्य अतिथि अम्बिका राणावत ने इस अवसर पर कहा कि शस्त्र का इतिहास आदीकाल से है जो धर्म की रक्षा करते है धर्म उसकी रक्षा करता है । उन्होने कहा कि आज की पीढी के मन मे ंये सवाल उठता होगा कि क्या है ये शस्त्र पूजन क्या हम हथियारो की आराधना कर रहंे है या धातू का पूजन कर रहे है उन्होने कहा कि ये हथियारो की आराधना नही है ये हमारे साहस विजय और आत्मगौरव की आराधना है ये शस्त्र हमारे आत्मबल का प्रतिक है । उन्होने कहा कि शस्त्र पूजन की परंपरा हमारी गौरवशाली संस्कृति में वीरता, आत्मरक्षा और साहस एवं सामर्थ्य का अद्वितीय प्रतीक है।
मुख्य वक्ता .प्रियदर्शिनी वैष्णव ने कहा कि जब-जब समाज विखंडित हुआ, आत्मविश्वास डगमगाया और पराधीनता की बेड़ियाँ मजबूत हुईं, तब-तब इस भू-भाग ने कोई न कोई शक्ति उत्पन्न की। इस शक्ति ने राष्ट्र को जाग्रत कर आत्मविश्वास का संचार किया। ऐसी ही शक्ति का स्वरूप है राष्ट्र सेविका समिति। उन्होने कहा कि समाज में परिवर्तन व शक्ति जागरण का कार्य तथा कभी तेजस रही व बाद में सुप्त हुई शक्तियों को जगाने का कार्य सदैव मातृशक्ति ने किया है।
उन्होने कहा कि सन् 1936 से स्थापित राष्ट्र सेविका समिति विगत 9 दशकों से भी अधिक समय से महिलाओं के बौद्धिक, आध्यात्मिक, मानसिक ,शारीरिक विकास के लिए कार्यरत है । उन्होंने कहा कि मां दुर्गा ने असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए शस्त्र उठाएं । भगवान राम ने भी रावण जैसे ज्ञानी लेकिन अधर्म के रास्ते पर चलने वाले राजा के विरुद्ध शस्त्र उठाएं। शस्त्र कमजोर या निर्बल पर नहीं उठाने चाहिए। शस्त्र निर्बल की रक्षा के लिए उठे तभी शास्त्र अनुसार होंगे। शास्त्र यही समझाता है कि हम अपनी सनातन संस्कृति को जाने और समझें।
इस अवसर पर अनुपमा राठौड द्वार एकल गीत प्रस्तुत किया गया । एकल गीत के बाद समिति की कार्यकारिणी द्वारा राष्ट्र कार्य में समर्पित सेविका आशा को विस्तारिका के रूप में समर्पित होने वर कटार भेंट की गई। बाद में राष्ट्र सेविका समिति की ओर से तरूणी बहनेा एवं मातृशक्ति द्वारा शारीरिक कार्यक्रम में आसन, घोष के साथ बिना अस्त्र-शस्त्र के युद्ध नियुद्ध की कला का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान निःयुद्ध,दंड संचालन,गण समता,तलवार संचलन दंड योग व लघु दंड (यष्टि) प्रदर्शन के हुए शारीरिक अभ्यास में घात, प्रतिघात, प्रहार व प्रतिरोध के प्रयोग बताए गए। शारीरिक कार्यक्रम में घोषवादन प्रस्तुतीकरण में पण्णव, वंशी, झांझ आदि भारतीय वाद्यों के द्वारा भारतीय शास्त्रीय रचना किरण बजाई गई। कार्यक्रम में नगर की बड़ी संख्या में मातृशक्ति उपििसत थी। कार्यक्रम के समापन पर जिला सर कार्यवाहिका चित्रलेखा जोशी नीे आभार समिति के बारे में जानकारी दी एवं आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा आर्य ने किया

संपादक भावेश आर्य

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