नए आपराधिक कानूनों पर भव्य प्रदर्शनी, अपराध से न्याय तक के सिद्धांत का 10 मॉडल में लाइव डेमो

जयपुर 12 अक्टूबर(हरीश दवे) ।

नए आपराधिक कानूनों के सफलतापूर्वक लागू होने के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य प्रदर्शनी आम जनता, महिलाओं और विद्यार्थियों के बीच आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है। इस प्रदर्शनी में न्यायिक प्रक्रिया को 10 अलग-अलग ज़ोन या मॉडल में विभाजित किया गया है, जहाँ आगंतुकों को अपराध की सूचना से लेकर अंतिम न्यायिक निर्णय तक की पूरी यात्रा का लाइव डेमो दिखाया जाएगा। प्रदर्शनी का लेआउट न्याय प्रथम के सिद्धांत पर केंद्रित है, जिसने न्याय प्रणाली की जटिलताओं को सरल और सुलभ बना दिया।
प्रदर्शनी के मुख्य आकर्षण में 10 मॉडल की लाइव यात्रा रहेगी। प्रदर्शनी को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि कोई भी व्यक्ति विशेषकर विद्यार्थी आसानी से समझ सकें कि नए कानूनों के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग कैसे काम करता है।
चरण 1— शिकायत और जांच का आरंभ—
मॉडल 1: कंट्रोल रूम: यहाँ यह दिखाया गया कि डायल 112 जैसे आपातकालीन नंबर पर कॉल कैसे प्राप्त होता है और पुलिस कैसे तुरंत प्रतिक्रिया देती है। यह पुलिस की तत्परता और संचार प्रणाली को दर्शाता है।
मॉडल 2: सीन ऑफ क्राइम (SoC): इस मॉडल में, एक अपराध स्थल की प्रतिकृति बनाई गई थी। यहाँ फोरेंसिक साइंस टीमों को साक्ष्य एकत्र करते हुए लाइव दिखाया गया, जिसमें वीडियोग्राफी की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया गया।
मॉडल 3: पुलिस स्टेशन : यह ज़ोन ई-एफआईआर और ज़ीरो एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को दर्शाता था, जिससे आम नागरिकों को यह समझने में मदद मिली कि शिकायत दर्ज करना अब कितना सरल और पारदर्शी हो गया है।
चरण 2: वैज्ञानिक और कानूनी सत्यापन—
मॉडल 4: हॉस्पिटल : इस मॉडल ने चिकित्सा साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया। यहाँ पीड़ितों की मेडिकल जांच और कानूनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया दिखाई गई, जिसे नए कानूनों के तहत समयबद्ध और डिजिटल रूप से करना अनिवार्य है।
मॉडल 5 एफएसएल : यह प्रदर्शनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जहाँ वैज्ञानिक साक्ष्यों के विश्लेषण की प्रक्रिया को समझाया गया। यहां दर्शाया गया कि कैसे अनिवार्य एफएसएल जांच वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित दोषसिद्धि दर को बढ़ाने में मदद करती है।
मॉडल 6: पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ऑफिस : एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद यहाँ यह दिखाया गया कि अभियोजन विभाग कैसे सबूतों और चार्जशीट की समीक्षा करता है और उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए तैयार करता है।
चरण 3: न्याय और सुधार—
मॉडल 7: डिस्ट्रिक्ट कोर्ट : इस मॉडल में एक अदालत की कार्यवाही का डेमो दिया गया। यहाँ पर समयबद्ध ट्रायल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की प्रस्तुति को दर्शाया गया, जो त्वरित न्याय सुनिश्चित करने का मुख्य आधार है।
मॉडल 8: प्रिजन : इस ज़ोन ने जेल सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया। यहाँ जेल प्रबंधन के डिजिटलीकरण और कैदियों के पुनर्वास के कार्यक्रमों को दिखाया गया, जो दंड के बजाय सुधार पर ज़ोर देते हैं।
मॉडल 9: हाई कोर्ट : यह ज़ोन उच्च न्यायिक अपील और समीक्षा की प्रक्रिया को दर्शाता है जो मामले के अंतिम चरण की ओर ले जाता है।
मॉडल 10: नए आपराधिक कानूनों का संक्षिप्त विवरण : अंतिम ज़ोन में तीनों नए कानूनों के प्रमुख प्रावधानों जैसे कि ई-एफआईआर, सामुदायिक सेवा और भगोड़े अपराधियों के ट्रायल को सरल भाषा में समझाती हुई जानकारी दी गई। इसमें पुराने और नए कानून के बारे में भी पूरी व्याख्या की गई है।
यह प्रदर्शनी विशेष रूप से विद्यार्थियों, महिलाओं, अधिवक्तागण, न्यायिक अधिकारियों और नागरिक संस्थाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। इन्हें प्रदर्शनी में आकर अपराध से लेकर न्याय तक की पूरी प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखने का एक दुर्लभ अवसर मिलेगा।
प्रदर्शनी से पब्लिक को मिलेगा सीधा लाभ—
प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को न्याय प्रणाली में हुए बड़े बदलावों से परिचित कराना है। पब्लिक को वहाँ आकर तीन बड़े और सीधे फायदे मिले:
कानून की सरल जानकारी—
नागरिक देख पाएंगे कि ई-एफआईआर और ज़ीरो एफआईआर जैसे प्रावधानों से शिकायत दर्ज कराना कितना आसान हो गया है, पुलिस और कोर्ट की प्रक्रिया कैसे चलती है।
पारदर्शिता और विश्वास—
वीडियोग्राफी और फोरेंसिक जांच की अनिवार्यता को लाइव डेमो में देखकर जनता को यह भरोसा मिलेगा कि जांच अब मनमानी पर नहीं बल्कि वैज्ञानिक साक्ष्य पर निर्भर करती है। यह पारदर्शिता न्याय प्रणाली पर उनका विश्वास बढ़ाती है।
त्वरित न्याय का आश्वासन—
प्रदर्शनी ने जोर दिया कि अब मामलों के निपटारे के लिए सख्त समय-सीमा है। जहां लोगों को यह आश्वासन मिला कि उन्हें न्याय पाने के लिए सालों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि यह प्रणाली समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
संक्षेप में आमजन को यह पता चलेगा कि भारत की न्याय प्रणाली अब नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और आधुनिक बन चुकी है।



संपादक भावेश आर्य