अरावली पर अस्तित्व को संकट में नहीं आने देंगे

सिरोही।
एनएसयूआई पूर्व नगर अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मितेश सिंह परमार ने अरावली पर्वतमाला की परिभाषा में हाल ही में किए बदलाव पर चिंता व्यर्थ की। कहां की यह निर्णय अरावली की पहाड़ियों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है।
उन्होंने कहा कि अरावली केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि उत्तर-पश्चिमी भारत की जीवन रेखा है साथ किसी भी प्रकार का समझौता आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से खिलवाड़ होगा।
मितेश सिंह ने कहा की अरावली पर्वतमाला का सबसे अधिक विस्तार राजस्थान में है अरावली में बदलाव का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव राजस्थान को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अरावली पहाड़ियां उत्तर भारत के लिए प्राकृतिक ढाल की तरह कार्य करती है यह रेगिस्तान के फैलाव को रोकते हैं और हरियाणा दिल्ली, पश्चिमी उत्तर, प्रदेश सहित उत्तर-पश्चिमी भारत के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं अरावली उत्तर पश्चिमी भारत की जीवन रेखा है। इस बदलाव से पर्यावरणीय कानूनो की पकड़ ढीली होगी जिससे अवैध खनन,जंगलों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को बढ़ावा मिलेगा। इसका सीधा असर किसानों पशुपालकों और आम नागरिकों के जीवन पर पड़ेगा।


संपादक भावेश आर्य



