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रामझरोखा मंदिर की बेशकीमती हडपने वालो को संरक्षण देने से बाज आये भाजपा- युवा नेता राहुल राजपुरोहित


सिरोही 5 दिसम्बर (हरीश दवे) ।

रामझरोखा मंदिर प्रन्यास की भूमि अवैध तरीके से लीज पर देने व बेचान को लेकर आक्रोशित हुए सिरोही के विभिन्न समाजो व कांग्रेस संगठन द्वारा 9 दिसम्बर को प्रस्तावित धरन के विरोध में भाजपाईयो की बयानबाजी पर तीव्र प्रतिक्रीया व्यक्त करते हुए राजकीय महाविद्यालय के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष राहुल राजपुरोहित ने कडी प्रतिक्रिया जताते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी की। उन्होने बताया कि सिरोही भाजपा नगर की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में एक बार फिर उनके नेता सनातन धर्म की आड़ में सम्पति के सौदागरो ओर वसीयत खाऊ प्रशासन को बचाने की नाकाम कोशिश कर रही हैं। सिरोही शहर में स्थित रामझरोखा मंदिर की बेशकीमती भूमि को भाजपा नेताओं के सरंक्षण से बेच दिया गया है। सिरोही शहर में स्थित श्री राम लक्ष्मण मंदिर व रामझरोखा मंदिर की ट्रस्ट बनी हुई है। इन मंदिरो की भूमि देवस्थान विभाग जोधपुर के अंतर्गत है। पिछले कुछ दिनों से ध्यान में आया है की रामझरोखा मंदिर की भूमि को 99 वर्षाे की लीज पर एक निजी स्कूल को पट्टा हस्तान्तत्रित कर दिया गया है व मंदिर की भूमि के वाणिज्य पट्टे बनवाकर करोड़ो रुपये में मंदिर की भूमि को बेचा गया है। देवनगरी सिरोही के पावन मंदिरो की भूमि को धन के लालच में इस तरह से प्रशासन व नेताओं की मिलीभगत से किया गया यह कृत्य सनातन विरोधी, समाज विरोधी व क़ानून विरोधी है। आगामी 9 दिसंबर को इन मुद्दों को लेकर शहर के हक में पैदल मार्च निकाला जायेगा। जिसे लेकर भाजपा पदाधिकारियो व नेताओं में बोखलाहट है। इसलिए इनके नगर मंडल की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोकप्रिय पूर्व विधायक के बारे में भ्रामक वक्तव्य जारी किया गया। ताकि सिरोही भाजपा एक बार फिर झूठ के सहारे शहर की जनता को भ्रमित कर सके ओर असलियत को छुपाया जा सकते। राज्य व देश में भाजपा की डबल इंजन सरकार के समय मंदिरो की भूमि का भूमाफिया द्वारा प्रशासन व नेताओं के मिलीभगत से बहुत ही शर्मनाक कार्य हुआ है। मंदिर की वसीयत में लिखा गया है की उनके चेले इस मंदिर की भूमि का उपभोग कर सकते है। लेकिन क़ानून से विपरीत इस भूमि के एक भाग को स्कूल को हस्तान्तरित कर दिया व एक भाग को वाणिज्य दुकान पट्टे काटे गए जो नियम विरुद्ध है। दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।

संपादक भावेश आर्य

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