प्रशासनिक अधिकारी ही जिला मुख्यालय के सुधार सकते है ट्राफिक व्यवस्था के हालात

सिरोही 10 अगस्त (हरीश दवे) ।

सिरोही जिले की ट्राफिक व्यवस्था राजनीतिक, प्रशासनिक व अनेक कारणों से ध्वस्त हो चुकी है। फोरलाईन हाइवे, ग्रामीण सडक मार्ग चौराहे सर्वत्र ओवरलोडिंग भारी वाहन या छोटे वाहन, जानमाल की कीमत की जोखिम में नियमों के विपरित दौड रहे है। जिसका परिणाम सडक दुर्घटनाओं का बढता ग्राफ है तथा यातायात पुलिस दबाव के चलते या सिस्टम की चाल में कार्यवाही करने से कतराती है। जिसके जिला मुख्यालय पर भी हाल नही सुधर रहे है। जबकि जिला मुख्यालय पर यातायात सलाहकार व सतर्कता की समिति में सैकडो बार निकले हुए प्रशासनिक आदेश भी कभी अमल में नही आते। आमजन की तो यही उम्मीद है कि जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक सुबह 5 बजे से रात्रि तक शहर के हालात चार बार स्वयं निरीक्षण करे अन्यथा जिला मुख्यालय पर आम आदमी आवागमन में सदैव सडक दुर्घटना के अंदेशे में सहम कर चलता है। जिला मुख्यालय पर ट्रैफिक व्यवस्था में बड़े सुधार की सख्त जरूरत है और जो कार्मिक व अधिकारी ट्रैफिक विंग में काम करते है उन्हें आज के हालातो के हिसाब से ट्रैफिक कंट्रोल की ट्रेनिंग देने की जरूरत है। ट्रैफिक पुलिस उस दिन बहुत मुस्तेद दिखती है जब क्षेत्र में वीआईपी मूवमेंट व विजिट होती है तब वो रास्ते क्लियर करवा कर अपनी एफीसेंसी का परिचय देती है। बाकी दिनों में तो ट्रैफिक पुलिस इतनी कमजोर हो जाती है जैसे उनकी कोई चलती ही नही है और सड़कों को रोक कर सड़क पर व्यापार होता है इससे जनता चले तो कहा चले।
शहर के नो पार्किंग जोन का चस्पा किये क्षेत्र नगर परिषद कार्यालय, जेल चौराहा, गोयली चौराया, अनादरा चौराया, सदर बाजार, सरजावाव दरवाजा तथा पूरे शहर में अवैध पार्किग का साम्राज्य बेसहारा पशुओ के साथ पनपा दिया है। जिससे अनेक मर्तबा तो आपात स्थिति में अनेक वार्ड की गली मौहल्लो से एम्बुलेन्स व रिक्शा भी नही गुजर सकता, क्योंकि बीच में वाहन खडे रहते है।
सिरोही जिला एक ऐसा जिला है जहां सड़क व भूमि सरकार की लेकिन उस पर लारी या खोमचा लगाने वाला पीछे वाली दुकानदार को डेली या मंथली भाड़ा देता है और यही कारण है कि वो भाड़े के बूते आम सड़क रास्ता रोककर व्यापार करता है जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि सरकार फुटपाथों को खाली करवावे ताकि आमजन पैदल चल सके ओर एक्सीडेंट से बच सके।
नगर निकाय व ट्रैफिक पुलिस की बिना इच्छा शक्ति के फुटपाथों को व आम रास्तों को खाली करवाना बड़ा कठिन है। सड़को व आमरास्तो पर दुकानों के बोर्ड रखकर व दुकानों का सामान रखकर रास्ता रोका जा रहा है लेकिन उनको कोई खाली नही करवाता है जिससे आवागमन में बड़ी परेशानी जनता को उठानी पड़ती है।
पीडब्ल्यूडी की सड़क व चौराहों पर सड़क सीमा में सामान रख कर ,वाहन पार्किंग कर व लोरिया लगाकर रास्ता सकडा किया जा रहा है लेकिन पीडब्ल्यूडी के जिमेवार कोई एक्शन नही लेते है और परेशानी जनता को उठानी पड़ती है। चौराहों पर एक्सीडेंट का मुख्य कारण उसका विजन बाधित करना है, विभिन्न निजी विद्यालयो की सैकडो की तादाद में वैद्य, अवैद्य रूप से चलने वाली बाल वाहिनियां व जगह जगह उनके एकदम बच्चो को चढाने व उतारने के दौरान ब्रेक लगाने से भी अक्सर दुर्घटनाओ का अंदेशा बना रहता है तथा बेतरतीबी से कई भी बाल वाहिनियां मैन रोड पर स्टेण्ड बना देती है, पीडब्ल्यूडी ट्रैफिक पुलिस,नगर निकाय व परिवहन विभाग चारो के जिमेवारो को इन हालातों पर कागजों में नही जमीनी स्तर पर चिंतन करने की जरूरत है तभी जनता को आवागमन का खुला रास्ता मिलेगा। आम सड़को पर पार्किंग को रोकने के लिए वाहनों को क्रेंन से लेकर सीज करने व जुर्माना की रसीद भरने से ही पेनल्टी का भय बनेगा और वाहन सड़को पर पार्किंग करना बंद होगा। जबकि सार्वजनिक निर्माण विभाग के बाहर ही आयुक्त निवास के सामने भारी वाहन इस तरीके से दिन भर खडे रहते है जो अम्बेडकर सर्कल व समीप के झुपडो के बच्चो के बीच में भटकने से सदैव दुर्घटना का अंदेशा अन्नापूर्णा रसोई डम्प के बाहर पशुओ के जमावडे में आये दिन होता है। लेकिन डीएमटी फण्ड में सडक चौडी करने वाला सानिवि व नगर परिषद मुख्य मार्ग पर यातायात पुलिस व डीटीओ भी जिला मुख्यालय के मुख्य मार्ग सडक चौराहो की स्थिति को जन दुविधाओं से उबारने में कभी कदम नही उठाते।
शहर की यातायात परिवहन अवैध पार्किग तथा अस्थायी अतिक्रमणो से जनसाधारण को होने वाली दिक्कतो के निदान में अगर पुलिस के नए कप्तान व जिला मजिस्ट्रेट साहब इस विषय पर कोई नई पहल करेगे व सड़क सुरक्षा समिति व परिवहन समिति की मीटिंग में इस बाबत कोई ठोस कदम उठाने का निर्देश सभी विभागों को देगे तो ही जिला मुख्यालय के हालात सुधर सकते है व आमजन को आवागमन व सडक के सुरक्षित अधिकार मिल सकते है।



संपादक भावेश आर्य