अर्बुदा गौशाला के हालात राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने नही सुधारे तो जन आक्रोश झेलने को रहे तैयार

सिरोही 3 अगस्त (हरीश दवे) ।

पूर्व सिरोही स्टेट के असाधारण राजपत्र 7 जुलाई 1948 में प्रकाशित आदेश संख्या 474 ऑ के द्वारा सिरोही में गोलेरा हाउस अरठ कालकाजी एवं डाबा जोड अर्बुदा गौशाला की स्थापना एवं रखरखाव के लिये अनुदान में दिये गये। इसकी क्रियान्विति 4 जनवरी 1949 को पूर्व सिरोही राज्य के मुख्यमंत्री गोकुलभाई भट्ट द्वारा एक आदेश जारी कर घोषणा को कार्यरूप में परिवर्तित करने के लिये राजस्थान सरकार के पॉलिटिकल विभाग द्वारा जारी अधिसूचना आदेश संख्या 01 (71)पीओएल(सी) 50 दिनांक 22.07.1952 के द्वारा तदर्थ कमेटी गठित की गई जिसकी अधिसूचना सिरोही स्टेट की हर हाइनेस राजमाता गुलाब कुंवरबा साईबा की आज्ञा से तत्कालीन मुख्यमंत्री सिरोही द्वारा जारी किया गया तथा राज्य सरकार इसे एक ट्रस्टी की हेसियत से चलायेगी तथा सोसायटी का पंजीकरण रजिस्ट्रेशन ऑफ सोसायटी के तहत पंजीयन हुआ जिसका नाम अर्बुदा गौशाला डेयरी फार्म रखा गया जिसके संचालन की जिम्मेदारी तदर्थ कमेटी को सौपी तथा संस्था को चलाने में असफल रहने पर राज्य सरकार अपने प्रबंधन में ले सकती है व ट्रस्टी की हैसियत से इसे चलायेगी जिसका कलेक्टर सिरोही का अध्यक्ष रहेगा तथा संचालन के लिये नगर पालिका अध्यक्ष, प्रधान पंचायत समिति, विकास अधिकारी पंचायत समिति तथा पशुपालन अधिकारी को सचिव एवं तहसीलदार को सदस्य के रूप में मुकर्रर किया तथा 1996 में सदस्य सचिव पशुपालन अधिकारी के स्थान पर तहसीलदार सिरोही को सचिव नियुक्त किया गया। इस दौरान अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म पर न जिला प्रशासन, न यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने ध्यान रखा जिससे 5000 बीघा खातेदारी वाली भूमि अतिक्रमणों की भेंट चढी तथा जमकर इसमें भ्रष्टाचार होता रहा।
इसी दौरान सिरोही नगर परिषद ने शहर के भटकने वाले बेसहारा पशुओं के लिये निर्मित कांजी हाउस को बेच दिया तथा एक दशक पहले जब शहर में बेसहारा पशुओं की भरमार हुई तथा मीडिया में लगातार खबरे प्रकाशित होने के बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर वी सरवन कुमार व एसडीएम ओपी विश्नोई ने 02.09.2014 को अर्बुदा गौशाला सहयोग समिति बनाई व नगर परिषद में भटकने वाले बेसहारा पशुओ को अर्बुदा गौशाला की भूमि में रखने का निश्चित किया लेकिन शहर में आवारा पशुओं की समस्या का समाधान नही हुआ लेकिन वसंुधरा राजे भाजपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन गोपालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के कार्यकाल में अर्बुदा गौशाला विवादित भी हुई, गायो की मौत भी हुई और इसके रखरखाव व संचालन पर भी अनेक प्रश्न खडे हुए तब भाजपा के बोर्ड व अर्बुदा गौशाला को लेकर पूर्व विधायक संयम लोढा ने खुब बवाल मचाया जिसका परिणाम सिरोही नगर में तत्कालीन विधानसभा व नगर परिषद के चुनावों में भाजपा को झेलना पडा। गत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म का अनुबंध वडवज तहसील रेवदर की गोपाल गोवर्धन गौशाला समिति से इसका करीब 1700 बीघा भूमि पर एमओयू करवाया।
कोंग्रेस बोर्ड में भाजपाई पार्षदों ने भी नही जाना कि एमयोयु क्या है।
क्या नगर के बेसहारा पशु धन जो अर्बुदा गॉशाला में पल रहा है।
उसके लिए तो कानजी हाउस नही मांगा।पर नन्दी शाला व गॉवंश सरंक्षण के तहत अर्बुदा गौशाला व नंदी गौशाला के उद्देश्य से अर्बुदा की खतेदारी भूमि दे दी गई तथा चारदीवारी व तारबंदी तथा विकास के अलावा राशि भी दी गई लेकिन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में न तो सिरोही नगर परिषद क्षेत्र की जनता की बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान हुआ न नगर में भटकने वाले नंदीयों को गौशाला में भेजा गया। जबकि अर्बुदा गौशाला की हजारो बीघा जमीन अतिक्रमणों की चपेट में है तथा राजनीतिक संरक्षण में अर्बुदा गौशाला के भूमाफिया किसी भी सूरत में गोचर को छोडना नही चाहते है तथा एमओयू गौशाला नंदीयो को क्यों नही अपनाती, इस पर नगर की जनता खूब आक्रोशित है।
गत नगर परिषद में निर्दलीय विधायक की प्रमुख हार की वजह अर्बुदा गॉशाला का एमयोयु ही रहा। जिसके क्रियान्वन के अभाव में कोंग्रेस बोर्ड ने बेशहरा पशुओ की समस्या समाधान के अभाव में एमयोयु का खेला कर दिया।पर नन्दी भटक रहे।
राज्य सरकार की मंशा धराशायी हो रही।
अब राज्यमंत्री ओटाराम देवासी, सांसद लुम्बाराम चौधरी, जिला कलेक्टर, एडीएम व आयुक्त तक नीत रोज शिकायते पहुंच रही है व नंदीयों से आमजन घायल हो रहा है व समाचार लिखे जाने तक राजमाता धर्मशाला पर एक नंदी ने एक कुम्हार समाज के युवक को गंभीर रूप से घायल कर दिया जिससे वो अवचेत हो गया। जबकि अर्बुदा गौशाला में नगर परिषद अभी गौशाला संचालित करती है या नही इसकी भी जानकारी नही है। गौशाला प्रबंधको से पूछा जाये तो उनका काम है कि जिला कलेक्टर व आयुक्त का कार्य है कि वो गौशाला में बेसहारा पशु व नंदीयो को पहुंचाये जब जनता की आवाज पर प्रशासक व आयुक्त सख्त आदेश करते है तो गोवंश धरपकड का अभियान रश्मी तौर पर चलता है तथा नगर के हर वार्ड मौहल्ले में आमजन बेसहारा पशुओ व नंदी से आतंकित है, आखिर जिला कलेक्टर, नगर परिषद प्रशासक व आयुक्त जनता का टैक्स से अर्जित करोडो रूपया व्यय करके भी सिरोही नगर को बेसहारा पशुओ व नंदी की समस्या का हल क्यों नही करवाते जबकि राज्य सरकार गोवंश संरक्षण संवर्धन व नंदीयो के संरक्षण के लिये व्यय व अनुदान दे रही है। सिरोही नगर परिषद ने गत 6 वर्षो में करोडो रूपया अर्बुदा गौशाला पर व्यय किया लेकिन शहरवासियो की समस्या का समाधान नही हुआ। शहर के भीकसिंह भाटी, जब्बरसिंह, ब्रिजेश त्रिवेदी, मनीष त्रिवेदी, दिनेश प्रजापत, दिलीप हिरागर, राजेन्द्र गांधी ने राज्यमंत्री ओटाराम देवासी से मांग करते हुए कहा कि अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म की भूमि पर अतिक्रमण अविलंब हटाये जाये तथा अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म को अस्तित्व में ला स्थानीय रोजगार के अवसर बढाये जाये तथा एमओयू गौशाला की समीक्षा कर 1700 बीघा भूमि में गोवंश व नंदीयो का संरक्षण किया जाये अन्यथा सिरोही नगर की जनता हर वार्ड मौहल्ले में आक्रोशित है जिसका खामियाजा आने वाले नगर परिषद के चुनावो में भाजपा व कांग्रेस दोनो को भुगतान पडेगा तथा शहर में बेसहारा पशुओ व नंदीयो से होने वाली दुर्घटनाओ का जिम्मेदारी जिला प्रशासन व नगर परिषद प्रशासन है जो राज्य सरकार की भी छवि को धूमिल कर रहा है।
राज्यमंत्री ओटाराम देवासी को चाहिये कि जनहित में आवश्यक कदम उठावे अन्यथा वाडाखेडा जोड व अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म के प्रकरण में भाजपा से जुडे हुए लोग ही आवाज बुलंद कर रहे है जिसका समाधान निकलना चाहिये।

संपादक भावेश आर्य