आसोतरा ब्रह्मधाम में शुरू हो रहा हैं श्री तुलसारामजी महाराज का 45 वां चातुर्मास

10 जुलाई को गुरुपूर्णिमा पर ब्रह्मसरोवर पर होगा चातुर्मास प्रवेश
बालोतरा /आसोतरा(हरीश दवे) ।

राजपुरोहित समाज के प्रमुख आराध्य स्थल श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ, आसोतरा में गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर गादीपति परमपूज्य श्री १००८ श्री तुलसारामजी महाराज का ४५वां चातुर्मास 10 जुलाई 2025 से आरंभ हो रहा हैं। यह चातुर्मास स्वयं ब्रह्मधाम परिसर स्थित ब्रह्मसरोवर तीर्थ क्षेत्र पर संपन्न होगा, जहां देशभर से श्रद्धालुओं और भक्तों के आने की तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी हैं।
चातुर्मास हिंदू परंपरा में विशेष साधना, संयम और सेवा का समय होता है, और जब यह चातुर्मास राजपुरोहित समाज के ब्रह्मऋषि परंपरा के वारिस और समाज के आध्यात्मिक प्रेरणास्रोत तुलसारामजी महाराज के सान्निध्य में हो, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता हैं।
चातुर्मास के दौरान भक्तगणों को सत्संग, ध्यान, धर्मविचार, आरती, ब्रह्मभोज और गुरुदेव के चरणों में सेवा का विशेष लाभ मिलेगा। श्री तुलसारामजी महाराज की वाणी और जीवनदर्शन को सुनने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आसोतरा धाम की ओर रुख कर रहे हैं।
श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ, आसोतरा केवल राजपुरोहित समाज का ही नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष का एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर स्थल हैं। यहां स्थित ब्रह्मा मंदिर, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर है, जिसे ब्रह्मऋषि श्री खेतेश्वर महाराज की तपस्या और संकल्प से निर्मित किया गया था।
यह भारत का पहला ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान ब्रह्मा के साथ माता सावित्री भी पूजित हैं — यह दर्शन और श्रद्धा का दुर्लभ संगम है, जो इस तीर्थ को विशेष बनाता है।
चातुर्मास आयोजन को लेकर श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं के लिए रहने, भोजन, सत्संग और दर्शन की व्यापक व्यवस्था की गई हैं। गुरुपूर्णिमा (10 जुलाई) को श्री तुलसारामजी महाराज चातुर्मास प्रवेश करेंगे और उसी दिन ब्रह्मधाम में विशेष पूजा, गुरु वंदना एवं संत सम्मेलन का आयोजन भी प्रस्तावित हैं।
सभी श्रद्धालु, भक्त और समाजबंधुओं से विनम्र अनुरोध हैं कि वे इस पुण्य अवसर पर भाग ले और गुरुदेव के सान्निध्य में चातुर्मास के दिव्य वातावरण का लाभ प्राप्त करे।
श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ, ब्रह्मसरोवर, आसोतरा (बालोतरा)
में 10 जुलाई गुरुपूर्णिमा को विशेष: सत्संग, प्रवचन, सेवा, आरती, दर्शन एवं धर्मचर्चा होगी।
“गुरु के चरणों में अर्पित जीवन ही सच्चे चातुर्मास की पूर्णता है।”


संपादक भावेश आर्य