कृष्णावती नदी में हो रहे खनन के विरोध में छठे दिन भी बाजार बंद,

2 जन आमरण अनशन पर,
कृष्णावती नदी बजरी आन्दोलन की चिंगारी कई राजनीति की भेंट न चढ जाये
सिरोही (हरीश दवे) ।

कृष्णावती नदी में पॉकलेण्ड मशीनो से किये जा रहे बजरी खनन के विरोध में छठवे दिन भी कृष्णावती नदी संघर्ष समिति व समस्त जनता जनार्दन के बैनर तले चल रहा आमरण अनशन एवं 22 गांवो के विशाल धरने में जावाल कस्बे समेत आसपास के गांवो के प्रतिष्ठान बंद रहे जिससे आमजन को भी दैनिक आवश्यकता की वस्तुओ को प्राप्त करने में असुविधा हुई। वहीं धरना स्थल पर चिकित्सको ने आमरन अनशन पर बैठे दो अनशनकारियो को मेडिकल चेकअप किया। धरना स्थल के आसपास सुरक्षा प्रबंधो को लेकर पुलिस का तगडा बन्दोबस्त है तथा प्रशासनिक अधिकारी धरना स्थल पर घटनाक्रमो पर पूरी नजर रखे हुए है। हालांकि कृष्णावती नदी बजरी खनन प्रकरण लम्बे समय से चल रहा है तथा पूर्व में इस आन्दोलन के प्रतिनिधि मण्डल को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात करवा चुके है तथा दो दिन पूर्व सर्किट हाउस में प्रशासनिक अधिकारियो के साथ मैराथन बैठक समस्या के समाधान को लेकर प्रतिनिधि मण्डल से वार्ता की जिसमें राज्यमंत्री ओटाराम देवासी का प्रशासनिक अधिकारियो के साथ स्पष्ट कहना था कि आप पूर्व में कोर्ट में लगाये मुकदमो को वापिस लो तथा धरना स्थगित करो उसके बाद जिला प्रशासन व राज्य सरकार आपकी मांगो पर जांच कार्यवाही करवायेगी लेकिन बजरी आन्दोलन की समस्या का समाधान नही हुआ। इसके बाद अनिश्चितकालीन बाजार बंद के आह्वान के बाद आज भी बाजार बंद रहे व रात्रि में धरना स्थल पर धरनार्थी भजन संध्या कर ईश्वर से गुहार लगा रहे है कि कृष्णावती नदी की बजरी को बचाओ।
राजनीति की भेंट न चढ जाये कृष्णावती बजरी आन्दोलन
पांचवे दिन पूर्व विधायक संयम लोढा भी धरना स्थल पर पहुंचे और अपनी बात रखते हुए कहा कि कल से ग्रामीण आमरण अनशन शुरू करे और यदि 22 गांव इजाजत दे तो सबसे पहले अनशन पर मैं बैठूंगा और यदि आप लोग यह कहे कि दूसरे लोग बैठेंगे तो जब भी गांववासियों का आदेश होगा तो मैं नदी को बचाने के लिए आमरण अनशन पर बैठूंगा। पूर्व विधायक संयम लोढ़ा कृष्णावती नदी जावाल सिरोही में लीज धारक द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध खनन के विरोध में 22 गांवों के नागरिकों की ओर से दिए जा रहे धरने को संबोधित कर रहे थें। संयम लोढ़ा ने कहा कि अभी कुछ लोग राज के अहंकार में डूबे हुए हैं, बजरी माफिया के सांठ गांठ कर रहे है। झूठा मुकदमा करना, लोगों का उत्पीड़न करना वर्दी का रूप बताकर जनता को डराना इनका सिर्फ यही कार्य रह गया है। सिरोही का प्रशासन इनके हाथ में है।
तब ही भाजपा के पूर्व नेता मांगुसिंह देवडा बावली ने उपस्थित जनो को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृष्णावती नदी मे बजरी खनन के विरुद्ध शुरू धरने का मे पहले दिन से समर्थन में हुँ और उस धरने का हिस्सा भी हूॅ। क्योंकि सरकार चाहे कोनसी भी हो जनता के हितो व अधिकारों की रक्षा करना इनकी प्राथमिकता होती है। उन्होने लोढा से मुखातिब होते हुए कहा कि 2012 मे यें लीज आवंटित हुई तो 6 महीने मे ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लग गई। उसके बाद 31/03/2023 को पिछली गहलोत सरकार के दौरान विशेष कमिटी द्वारा निष्पादन कर खननपट्टा को संविदा पंजीयन किया गया। तब 01 अप्रेल 2023 से सिरोही पंचायत समिति मे बजरी खनन शुरू हुआ। और जब 31/03/2023 को सिरोही पंचायत समिति मे बजरी खनन को स्वीकृति मिली तब सिरोही मे संयम लोढ़ा खुद विधायक भी थे और मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार भी थे। अगर संयम लोढ़ा ने उसी समय रोक दिया होता तो आज इस समस्या से इन 22 गाँवो की जनता को सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन सत्ताधारी भाजपा भी इससे पल्ला नहीं झाड सकती, क्योंकि सत्ताधारी होने के नाते जनहित मे समस्या का निवारण भाजपा की प्रमुख जिम्मेदारी।

गौरतलब है कि कृष्णावती नदी बजरी खनन में लीजधारक के तमाम लाईसेन्स निरस्त करवाने को लेकर आन्दोलनकारी लामबद्ध है व शोशल मीडिया पर भाजपा व कांग्रेस के समर्थक एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे है वही इस आन्दोलन को अब कालन्द्री व सिरोही व्यापार संघ ने भी समर्थन दे दिया है। अनेकजनो का मानना है कि अब यह आन्दोलन राजनीति की भेंट चढ रहा है, कृष्णावती नदी की बजरी व पर्यावरण को बचाने की मांग तो शतप्रतिशत सही है व राजस्थान सरकार को सिरोही जिले की सभी नदीयो में हो रहे अवैध बजरी उत्खनन पर आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिये जिस प्रकार कृष्णावती नदी में रैती के लिये आन्दोलन शुरू हुआ है ऐसा जवाई नदी, सुकली, करोटी, बनास, कोजरा इत्यादि नदियो के बारे में न तो पर्यावरण भी जागरूक है न राजनीतिक दल, लेकिन गत कांग्रेस सरकार में जावाल ग्राम पंचायत जावाल नगर पालिका बन गई और अब भाजपा सरकार में जावाल नगर पालिका पुनः जावाल ग्राम पंचायत बन गई। इस दौरान इन पंचायतो में जमकर अवैध निर्माण, रिसोर्ट, बांध काम व 200 फर्जी पट्टो का महाइतिहास रचा गया जिसका न कांग्रेस की सरकार में राजफाश हुआ न भाजपा की सरकार में और आन्दोलन के दौरान बजरी आन्दोलन से जुडे भाजपा व कांग्रेस के नेता अपनी अपनी पार्टी को भी हडका रहे है कि अगर समस्या का समाधान नही किया तो हम पार्टी से इस्तिफा दे देंगे।

ऐसे हालत में कृष्णावती नदी बचाओ आन्दोलन को समय रहते जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियो ने इसका माकुल हल न निकाला तो इसमें कोई संदेह नही कि पूर्व विधायक संयम लोढा पानी, बिजली व अन्य समस्याओं को उभारकर कृष्णावती नदी तट से शुरू हुए बजरी आन्देालन को कई जिला मुख्यालय तक लाकर राज्य सरकार को घेरने में अपनी राजनीति को धार दे देवे तो अतिश्योक्ति नही होगी।


संपादक भावेश आर्य