मानवाधिकार दिवस पर आह्वान: हर नागरिक बने अधिकारों का संरक्षक – डॉ. रविंद्र मिश्रा

सिरोही 10 दिसंबर।

_ विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का वर्चुअल आयोजन मुम्बई में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रविंद्र मिश्रा, राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के मुख्य महासचिव, ने की। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण के लिए समाज की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित करना था। जिसमें देश के अनेक राज्य के प्रदेश व जिला पदाधिकारियों ने भी वर्चुअल में हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के जिला महासचिव हरीश दवे ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र मिश्रा ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि विश्व मानवाधिकार दिवस न केवल एक दिन है, बल्कि यह मानवता के उन मूलभूत सिद्धांतों को याद करने का दिन है, जो हमें एक गरिमामय जीवन जीने का अधिकार प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, ष्मानवाधिकार हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, या समाज के वर्ग से संबंधित हो। ये अधिकार हमें समानता, स्वतंत्रता, और गरिमा के साथ जीवन जीने की अनुमति देते हैं।

उन्होंने मानवाधिकारों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाया गया था। यह घोषणा सभी देशों और समाजों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक वैश्विक संकल्प है, जो हर व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है।
डॉ. मिश्रा ने अपने संबोधन में आधुनिक समाज में मानवाधिकारों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज भी दुनिया भर में भुखमरी, गरीबी, लैंगिक असमानता, बाल श्रम, और मानव तस्करी जैसी समस्याएं मौजूद हैं। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन बताया और कहा कि इन समस्याओं का समाधान केवल सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसमें अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ष्आज हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जहां हर व्यक्ति को उसके अधिकार प्राप्त हों और कोई भी वंचित न रहे। यह तभी संभव है जब हम जागरूक नागरिक बनकर अपने कर्तव्यों का पालन करें और दूसरों के अधिकारों का सम्मान करें।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. मिश्रा ने उन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भी प्रशंसा की, जो निस्वार्थ भाव से समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये कार्यकर्ता हमारे समाज के असली नायक हैं, जो मानवता की सेवा में निरंतर जुटे रहते हैं।

इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों, छात्रों, और नागरिकों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने मानवाधिकारों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए और समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों को साझा किया।
इस अवसर पर सिरोही जिले के जिला महासचिव हरीश दवे ने कार्यक्रम के अंत में सभी से अपील की कि वे मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा, ष्मानवाधिकार केवल एक अवधारणा नहीं है; यह हमारी सोच, हमारी संस्कृति और हमारे कार्यों का हिस्सा बनना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने आसपास हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सामूहिक संकल्प के साथ हुआ। यह कार्यक्रम मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

संपादक भावेश आर्य