ब्रेकिंग न्यूज़

रेबिज ग्रस्त श्वानो के आतंक से सिहर उठी सिरोही नगर की जनता


विगत एक माह में 140 से ज्यादाजन हुए श्वान दंश के शिकार
जिला प्रशासन व नगर परिषद के पास समाधान का कोई मार्ग नही नंदीयो व भटकते गोवंश से भी आमजन त्रस्त


सिरोही 29 नवम्बर (हरीश दवे) ।

सिरोही नगर परिषद क्षेत्र की जनता नगर परिषद प्रशासन की तुगलगी नीतियो से हर क्षेत्र में त्रस्त है वहीं नशबंदी के अभाव में सिरोही नगर परिषद क्षेत्र में आवारा पशुओ की भरमार हर वार्ड की गलियो में 30-40 से ज्यादा कुत्तो की बढ गई है वहीं अर्बुदा गौशाला के एमओयू के बावजूद नगर में सैकडो की तादाद में नंदी व बछडे शहर में भटक रहे है व पाॅलिथीन खाकर जहां गोवंश अधमरा हो रहा है वहीं नंदी भी मानव क्रुरता के शिकार हो रहे है। जिसमें गत दो दिनो से श्वानो के पागल होने व रेबिज के शिकार होने नगर में श्वानो का आतंक बढ गया है।


दो दिन पूर्व शहर के मोदी लाईन क्रांगुआवास व अन्य मौहल्लो में रेबिज के शिकार कुत्तो ने अन्य कुत्तो व भटकते गोवंश को काटा वही गत एक माह में 140 से ज्यादा श्वानो ने शहरवासियो को काटा और वो राजकीय अस्पताल की शरण में पहुंचे।
गत राज्य सरकार के समय आवारा पशु राजकीय अस्पताल से बच्चे को नौचकर ले गये थे उसके बाद राजनीतिक हंगामा मचा लेकिन आवारा पशुओ की समस्या का न हाॅस्पिटल मे ंसमाधान हुआ न नगर परिषद क्षेत्र में आज हाॅस्पिटल के दोनो परिसरो में कम से कम 30-40 कुत्ते भटक रहे है व मरीज के परिजनो के सामान भी बाहर से लेकर दौड पडते है। अब शहर में पिछले दो माह से आवारा कुत्तो में रेबीज की बीमारी तेजी से बढ़ती जा रही है जिससे आमजन में खौफ का माहौल बन चुका है। रेबीज से ग्रसित आवारा कुत्ते इंसानों को तो छोड़ो अन्य पशुओं पर भी अपनी चपेट में लेते नजर आ रहे है। जिससे बीमारी मनुष्यो से लेकर पशुओं में भी प्रवेश कर रही है।


सूत्रों की माने तो शहर में करीब 100 से भी ज्यादा कुत्ते ऐसे है जो रेबीज से ग्रसित है। इतना ही नही इन कुत्तो की चपेट में जहां बाइक सवार शिकार हो रहे है वही सबसे ज्यादा निशाना गलियों में खेलकूद करते छोटे छोटे बच्चो को बनाया जा रहा है। बावजूद उसके ना तो परिषद इस मामले में ध्यान दे रही है और ना ही प्रशासन जिससे आमजन के चेहरों पर पड़ी चिंता की लकीरों को ओर भी बढ़ा दिया है।


इतने रोज मामले


वही असप्ताल प्रशासन कि माने तो दिन ब दिन अस्पताल में बढ़ते मामलों से वे भी काफी चिंतित नजर आने लगे है। असप्ताल द्वारा मिली रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 4 से 5 मामले दर्ज कर इंजेक्शन आदि का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। गत 1 नवम्बर से लेकर 28 नम्बर तक कुल 128 डॉग बाइट के मामले दर्ज किए है तो अक्टूम्बर माह में 70, अगर जल्द ही परिषद व प्रशासन द्वारा एक्शन नही लिया गया तो तो ये मामले तेजी से बढ सकते है।


परिषद के पास स्थान नही


वही परिषद की ओर नजर करे तो आमजन की शिकायत के बाद नगर परिषद कर्मियों द्वारा रेबीज से ग्रसित कुत्तो को पकड़ा तो जरूर जा रहा है लेकिन इन कुत्तो को पकड़ने के बाद इन्हें कहां छोड़ा जाए इसके लिए किसी के पास कोई जवाब नही है और ना ही इन कुत्तो को रखने का कोई स्थान नही है जबकि बोर्ड बैठकों में भी इसे लेकर बार बार मुद्दे उठ चुके है उसी अनदेखी का खामियाजा आज जनता भुगतने को मजबूर हो चुकी है। हालांकि नगर परिषद क्षेत्र में पीपल फाॅर एनिमल का आश्रय स्थल भी है, व अर्बुदा गौशाला के पास भी पर्याप्त जमीन है जबकि नगर परिषद पूर्व में नगर का कांजी हाउस बेच चुका है।


तेजी बढ़ रही संख्या


वही शहर की बात करे तो तो जहां दो माह पहले रेबीज से ग्रसित कुत्तो की संख्या 10 से 20 मानी जा रही थी वही जिम्मेदारो की अनदेखी से अब ये संख्या 100 के पार हो चुकी है ओर इनकी संख्या बढ़ने का कारण है कि एक ग्रसित कुत्ता स्वस्थ कुत्तो को काटते जा रहे है जिससे स्वस्थ कुत्तो में ये बीमारी तेजी से फेल रही है। अब तो आलम ये है कि ये कुत्ते इंसानों के साथ साथ गायो को भी चपेट में लेकर उन्हें भी ग्रसित कर रहे है लेकिन इसका समाधान किसी के पास नही होने से आमजन में चिंता व नाराजगी भी तेजी से देखने को मिल रही है। व्यापार मण्डल के भरत छीपा, सूरजीतसिंह राठौड व सुश्री तृप्ति जैन इस समस्या को लेकर नगर परिषद व जिला प्रशासन से कार्यवाही की मांग कर रहे है व निवर्तमान पार्षद प्रवीण राठौड भी बोर्ड की बैठको में अनेक बार आवारा पशुओ व नंदीयो की समस्याओ को लेकर आवाज बुलंद करते रहे है व श्वानो की बढती आबादी को रोकने के लिये नसबंदी की मांग करते रहे है। लेकिन न नगर परिषद की आंख खुली न जिला प्रशासन सचेत हुआ।


क्या बोले संयुक्त निदेशक


कुत्तो में बढ़ती रेबीज बीमारी को लेकर पहले भी अभियान चलाया है। अगर कुत्ते रेबीज से ग्रसित है तो नगर परिषद उन्हें पकड़कर हमे सूचना दे ताकि हम उनका वैक्सीन कर सके। राजेन्द्र पटेल,संयुक्त निदेशक सिरोही, पशुपालन विभाग

संपादक भावेश आर्य

Related Articles

Back to top button