स्वामी विवेकानन्द जयन्ति एवं नेताजी सुभाष जयन्ति सप्ताह का हुआ शुभारम्भ
युवा दिवस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल ने दिया युवा जोश में उद्बोधन

सिरोही(हरीश दवे)।

अखिल भारतीय ‘‘भारत-रत्न’’ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीय सेवा समिति मुख्यालय सिरोही एवं केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं नेताजी फाउण्ड़ेषन के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द की 161 वीं जन्म जयन्ति एवं श्री नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 127 वीं जन्म जयन्ति समारोह 2024 का आज आदर्ष विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय आबूरोड़ में दोपहर 12ः30 बजे इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। नेताजी फाउण्ड़ेषन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी लुम्बाराम मेघवाल ने बताया कि राष्ट्रीय युवा दिवस, स्वामी विवेकानन्द एवं नेताजी जयन्ति समारोह के अन्तर्गत आज दिनांक 12 जनवरी 2024 को आदर्ष विद्या मंदिर आबूरोड़ में इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में नेताजी फाउण्ड़ेषन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्षश्री लुम्बाराम मेघवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में विद्यालय के संस्था प्रधान श्री मोहनलाल परिहार एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में ।ठटच् छात्रसंध के अध्यक्ष एवं संस्था प्रधान श्री बलदेव कुमार जी मंच पर मौजूद थे। सभी अतिथियों से सामुहिक रूप से स्वामी विवेकानन्द एवं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से दोनों महापुरूषों का आभार प्रकट किया।
इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेषन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी ने स्वामी विवेकानन्द एवं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर अपना ऐतिहासिक उद्बोधन दिया। श्री लुम्बाराम मेघवाल ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी जी के आदर्षो को आत्मसात करे एवं युवा पीढ़ी को स्वामीजी से धैर्य ग्रहण करते हुए लगातार लक्ष्य की ओर उन्मुख रहने के लिए प्रेरित किया। स्वामी विवेकानन्द के भारतीय संस्कृति के संदर्भ में विचारों एवं सिद्धान्तों से युवा पीढी को उनका अनुसरण करना चाहिए। श्री मेघवाल ने युवा पीढी को अपने विचार साझा करते हुए स्वामी विवेकानन्द की जीवनी पर प्रकाष ड़ाला। श्री मेघवाल ने कहा कि स्वामी जी 14 अप्रेल 1891 में राजस्थान के सिरोही जिले में आबूपर्वत पहुँचकर यहा एक चोटी सी निर्जन गुफा में साधना की। स्वामी कहा करते थे तुम्हारे भविष्य को निष्चित करने का यहीं समय हैं इसलिए मैं कहता हॅू कि अभी इस भरी जवानी, इस नये जोष के जमानें में काम करो। काम करने का यहीं समय हैं इसलिए अभी अपने भाग्य का निर्णय कर लो और काम में लग जाओं…….. आओं हम एक महान ध्येय को अपनाये और उसके लिए अपना जीवन समर्पित कर दें। उठो! जागो!! और लक्ष्य प्राप्ति तक रूको मत, ऐसे उद्गार स्वामीजी ने अपने उद्बोधन में युवाओं के प्रति रखे जो आज भी उनके विचार प्रासांगिक है।
इस मौके पर श्री मेघवाल ने 1893 में स्वामी विवेकानन्द के ऐतिहासिक षिकागो धर्म संसद में राजस्थान की विषेश पोषाक साफा और चोगा – कमरखी आकर्षक वेष धारण कर अपना ऐतिहासिक प्रवचन दिया जिसमें स्वामी विवेकानन्द जी ने विष्व भर में सनातन धर्म व हिंदुत्व का परचम लहराया ओर उनकी राजस्थान की धारण वेशभूषा उनकी स्थायी पहचान बन गया। साथ ही स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में शून्य पर बोले शून्य की महत्ता को विष्व को ऐतिहासिक पहचान कराई। स्वामी विवेकानन्द भारत की स्वतंत्रता के इस अमृतकाल में युवा सन्यासी ओजस्वी विचार धारा वाले एवं आध्यात्मिकता को प्राथमिकता दी। उन्होेंने शक्ति, गौरवपूर्ण संस्कृति-संस्कारो से ओत प्रोत अद्भूत सामर्थ्य, वैष्विक शांति और सौहार्द के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् के भारतीय दर्षन और मानव कल्याण की प्रेरणा देने वाले सनातन धर्म, हिंदुत्व की संकल्पना एवं मूल्यपरक आचरण के कारण ही भारत विष्व गुरू की प्रतिष्ठा को प्राप्त है। इस विष्व आदर्ष की प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने तथा भारतीय स्वतंत्रता को यथार्थ का रूप से समझने के लिए भारत के प्रति स्वामी विवेकानन्द की समय, दृष्टि और संदेष पर चिन्तन करने और उसका अनुसरण करने का प्रयास करने का आव्हान किया। स्वामीजी ने राष्ट्र चेतना जागृत करने मानव मात्र के कल्याण की प्रेरणा देने वाले विचारों एवं उनके संदेषों को भारत के हर युवा पीढ़ी को ग्रहण करना चाहिए। साथ ही श्री मेघवाल ने श्री नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जीवन दर्षन से युवा पीढ़ी को अभिभूत कराया और कहा कि ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा।’’ के क्रांतिकारी नारे ने गुलाम भारत के एक नई क्रांति लाई और नेताजी ने अंग्रेजो को खदेड़ दिया। इस प्रकार नेताजी ने देष की आजादी को दया की भीख पर नहीं बल्कि छिनकर ली है। इस प्रकार श्री मेघवाल ने युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति का जज्बा पैदा किया।
इस मौके पर विद्यालय के संस्था प्रधान मोहनलाल परिहार, ।छात्र संघ के अध्यक्ष छत्तरसिंह, संस्था प्रधान श्री बलदेव कुमार ने भी युवाओं को सम्बोधन किया।
इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में संस्था प्रधान मोहनलाल परिहार, बलदेव कुमार, छत्तरसिंह, विद्यायल के अध्यापक ईष्वरलाल, निर्मल कुमार जैन, जब्बरसिंह देवड़ा, नरेन्द्र कुमार, ममता मीणा, पिंकी सैनी, मगनलाल मीणा, महेष बामणिया, नीतु त्रिवेदी, रमा एवं विद्यालय के युवा छात्र-छात्रा, अभिभावक छात्रसंघ कमेटी के पदाधिकारी व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

संपादक भावेश आर्य