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वाडाखेडा जोड में पशु चराई के विरोध में उतरे प्रदर्शनकारियो से की राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने समझाईश


सिरोही (हरीश दवे) ।

विगत गहलोत सरकार के शासनकाल के दौरान पूर्व सीएम सलाहकार पूर्व विधायक संयम लोढा ने अपने प्रयासो से वाडाखेडा जोड क्षेत्र के कन्जर्वेशन रिजर्व की पत्रावली को पारित करवा 4000 हैक्टेयर भूमि को रिजर्व घोषित करवा दिया। जिससे पशु चराई पर पूरी तरह रोक लग गई और इस निर्णय के विरोध में आज वाडाखेडा क्षेत्र के आसपास गांवो के सैकडो ग्रामीण व पशुपालक सवेरे 11 बजे से रामझरोखा मैदान दिलीपसिंह माण्डानी, कुलदीपंिसह पालडी, परमवीरसिंह चारण व संघर्ष समिति के नेतृत्व में एकत्रित हुए तथा अपनी मांगो को लेकर सबने अपनी बात रखी इसी दौरान संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मण्डल सर्किट हाउस में राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के पास पहुंचा और मांगो को लेकर ज्ञापन दिया। उधर रामझरोखा मैदान से प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते कलेक्ट्रेट परिसर सरूपविलास पहुंचे जहां कलेक्टर चेम्बर के बाहर आहते में प्रदर्शनकारियो ने प्रदर्शन किया और जम गये और अपनी मांगो को लेकर नारेबाजी करने लगे। जिसकी जानकारी राज्यमंत्री ओटाराम देवासी को मिलने को वो भी वहां पहुंचे और उन्होने जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी, डीएफओ मृदुला सिंह से विशेष मंत्रणा की तथा अधिकारियो एवं पुलिस उप अधीक्षक सिरोही, एडीएम सिरोही की उपस्थिति में प्रदर्शनकारियो को समझाते हुए कहा कि सिरोही के वाड़ा खेड़ा जोड़ क्षेत्र, जो वर्षों से आसपास के गांवों के पशुपालकों के लिए एकमात्र पारंपरिक चारागाह रहा है, को 2022 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और तत्कालीन विधायक संयम लोढ़ा द्वारा बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के 4,000 हैक्टेयर में कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित कर दिया गया, जिससे पशु चराई पर पूरी तरह रोक लग गई। यह निर्णय गरीब गोपालकों के हितों के विरुद्ध लिया गया और उनके आजीविका स्रोत पर सीधा प्रहार है। हमारी प्राथमिकता है कि इस वन भूमि को पुनः चारागाह घोषित कर पशुपालकों को राहत दी जाए और उनकी रोज़ी-रोटी सुरक्षित रखी जा सके तथा वहां पर प्रदर्शनकारियो को उन्होने बताया कि वाडाखेडा जोड कन्जर्वेशन को दो भागो में विभाजित करने एक भाग पशु चराई के लिये निशुल्क खोलने की परमिशन तथा दूसरे भाग को काले हिरणो के लिये आरक्षित कन्जर्वेशन रखा जायेगा साथ ही प्रस्तावित दीवार से जोड में जाने के रास्ते बंद होने पर भी बनी सहमति एवं हर गांव की तरफ ग्रामवासियो से सलाह मशविरा कर रास्ते खोले जायेगे तथा घासबीड की निलामी प्रक्रिया को पूरी तरह से निशुल्क एवं पशु चराई हेतु कोई शुल्क नही देना पडेगा की बात कही।

संपादक भावेश आर्य

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