पूर्व विधायक संयम लोढा भाजपा को घेरने पर आमादा, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. रक्षा भण्डारी दे पायेगी शिकस्त

सिरोही 1 जून (हरीश दवे) ।

प्रदेश मंे सत्ता परिवर्तन के डेढ साल के बाद गत महिनो भाजपा को नया जिलाध्यक्ष भी मिल गया और अधिकांश मंडलो की कार्यकारीणी भी गठित हो गई है तथा जिला कार्यकारिणी में स्थान पाने नये पुराने अनेक कार्यकर्ता अनेक तरीके से जिलाध्यक्ष, सांसद व राज्यमंत्री व विधायक के आंखो का तारा संगठन के होने वाले कार्यक्रमो में फोटो सेशन में अपना चेहरा चमकाने का कोई मौका नही चूकते तथा भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. रक्षा भण्डारी भी तपती धूप में संगठन की मजबूती में प्रदेश द्वारा चलाये जा रहे अनेक कार्यक्रमों ऑपरेशन सिंदूर व तिरंगा यात्रा में स्वयं को पूर्णतया झोक चुकी है वहीं बरसों भीतरघात, गुटबाजी व वर्चस्व के शिकार की लडाई में गिरी भाजपा को क्या रक्षा भण्डारी संगठन को तेजधार दे पायेगी जबकि उनके सामने चुनौति के रूप में भले ही कांग्रेस का रेवदर में विधायक भाजपा की भीतरघात से जगसीराम कोली के हारने के बाद मोतीलाल कोली जिले को कांग्रेस मुक्त नही होने दिया तथा संगठनात्मक रूप से कांग्रेस संगठन का ढांचा अस्त व्यस्त है इसके बावजूद पूर्व विधायक संयम लोढा गाहे बगाहे पानी, बिजली, बजरी तस्करी, चोरी, लूटपाट व हत्या के मामलो में जनआक्रोश भडकने पर भाजपा व राज्य सरकार को घेरने का कोई मौका नही छोडते ऐसी स्थिति में सांसद, राज्यमंत्री व भाजपा जिलाध्यक्ष ने संगठन व सत्ता की मजबूती में भविष्य को ध्यान में रख कारगर रणनीति नही अपनाई तो आने वाले पंचायतीराज चुनावों व स्वायत्तशाषी चुनावो में भाजपा को नुकसान उठाना पड सकता है जबकि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सिरोही जिले में जनमानस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के चलते स्थिति कमजोर नही है लेकिन जिले की राजनीति व भाजपा में सत्ता, संगठन व जिला प्रशासन के तालमेल के अभाव में हालात विकट होते जा रहे है।
राजनीतिक उदासीनता व शून्यता से गिरे सिरोही जिले में आजादी के 76 वर्षो के बाद भी सिरोही जिले में धार्मिक पर्यटन में देवालय, प्राकृतिक सम्पदा व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते विकास की अपार संभावना है लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व केन्द्र में बरसो तक बाहरी रहा जिसमें हिन्दुस्तान की अहम हस्तियों अशांक सांगी, देवकीनंदन पाटोदिया, पूर्व गृहमंत्री बुटासिंह, कैलाश मेघवाल, सुशीला बंगारू इत्यादि ने सांसद के रूप में लोकसभा में अपनी सेवाये दी लेकिन राजस्थान के एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउण्ट आबू से लेकिन जिला मुख्यालय सिरोही समेत तीनो विधानसभा क्षेत्रो में वह विकास नही हुआ जिसकी संभावना इतने प्रभावशाली सांसदो के चलते हो सकती थी और बाहरी सांसदो का निकट 15 साल पहले पूर्व सांसद देवजी पटेल ने सरदार बुटासिंह को राजनीतिक रूप से पछाड कर सिरोही जिले में कोई स्थानीय सांसद पहली बार बना। इसी दौरान भाजपा संगठन में भीतरघात व फूट पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष श्रीमती तारा भण्डारी व संघ के नाम से राजनीति करने वाले मुकेश मोदी जो लम्बे समय तक सांसद व विधायिकी के भाजपा के दावेदार रहे। दोनो के वर्चस्व की टकराहट में भाजपा संगठन में बिखराव रहा व भीतरघात के शिकार में दो बार तारा भण्डारी को विधानसभा चुनावो में हारना पडा। जिसके फलस्वरूप कांग्रेस में तेज तर्रार पूर्व विधायक संयम लोढा का सिरोही की राजनीति में आगमन हुआ जिन्होने 15 साल तक प्रदेश की राजनीति व विधानसभा में भाजपा को जमकर घेरा जिन्हे शिकस्त देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसंुधरा राजे ने सिरोही भाजपा के भीतरघात व गुटबाजी से बचाने के लिये आश्चर्यजनक तरीके से चामुण्डा माताजी के भोपाजी को चुनावी मैदान में उतारा व दो बार लगातार इन्होने विधायक संयम लोढा को करारी शिकस्त दी लेकिन 2018 में भाजपा की भीतरघात में भोपाजी ओटाराम देवासी को झटका दिया। जिससे संयम लोढा 2018 में पुनः निर्दलीय विधायक चुने गये और इस भीतरघात की शिकायतो का खामियाजा तत्कालीन जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी को भुगतना पडा जिन्हे जिलाध्यक्ष पद से बेदखल किया व पुनः जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित को बनाया। नारायण पुरोहित के भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के बाद कार्यकारिणी में मामुली फेरबदल हुआ और उनके कार्यकाल में बीच में इस्तिफा देने के बाद लुम्बाराम चौधरी की पुनः जिलाध्यक्ष पद पर ताजपोशी हुई पर कार्यकारिणी में अपने चहेतो को तरजीह दी जिसमें अनेक पुराने भाजपाई संगठन से परे हुए।
गत विधानसभा व लोकसभा चुनाव से पहले सुरेश कोठारी को भाजपा जिलाध्यक्ष की बागडोर मिली लेकिन वो भी कार्यकारिणी में माकुल बदलाव नही कर सके तथा उनके खिलाफ भी असंतोष के स्वर उभरे। ऐसी स्थिति में केन्द्रिय व प्रदेश भाजपा संगठन ने सिरोही जिले में भाजपा संगठन को मजबूती देने के लिये भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रक्षा भण्डारी को भाजपा जिलाध्यक्ष मनोनित किया और अपने मनोनयन के बाद जिला संगठन को मजबूत करने में ऐडी चोटी का जोर लगा रही है और मंडलो में कार्यकारिणीयां गठित हो गई है लेकिन वर्तमान में जिले में सांसद, राज्यमंत्री व जिलाध्यक्ष के रूप में छाया अध्यक्ष भी कार्य कर रहे है तथा प्रदेश किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष गणपतसिंह राठौड जो जिलाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे व गत 8 बरस तक विभिन्न जिलाध्यक्ष के कार्यकालो में पार्टी का खर्च उठाने में उन्हे महारथ रही पर भाजपा जिला संगठन में पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओ की जमकर उपेक्षा हुई तथा भाजपा की भीतरघात का ही परिणाम रहा कि भाजपा के गढ सिरोही, शिवगंज में स्वायत्तशाषी संस्थाओ के बोर्ड भी नही बने। भाजपा संगठन व इसके प्रकोष्ठ व मोर्चे मौजूदा समय में कागजी बने हुए है व संगठन के जिलाध्यक्ष प्रेस नोट व फोटो सेशन में अपनी उपस्थिति को ही संगठन की कामयाबी समझ रहे है।
उधर सिरोही नगर परिषद में लम्बे समय से आयुक्त के अभाव में नगर की जनता रात्रिकालीन विद्युत व्यवस्था, बदत्तर सफाई व्यवस्था, भूमाफियाओ के जंजाल में त्रस्त है तथा एलएण्डटी व गुजरात गैस के खडढे तथा बेसहारा पशुओ की समस्या से आमजन त्रस्त है। जिले भर में चोरी, संेधमारी, लूटपाट व हत्या के बढते मामलो में आये दिन धरना प्रदर्शन हो रहे है व गत दिनों भाजपाईयो ने ही बजरी आन्दोलन के नाम जावाल की कृष्णावती नदी में एक बडा आन्दोलन खडा किया व शनिवार को मनोरा गांव में चोरी की बढती वारदातो को लेकर सैकडोजनो ने शहर में मोर्चा निकालकर नारेबाजी की व पुलिस के साथ भिडंत हुई। इन सब घटनाक्रमो के मामलो में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आनंद जोशी व अन्य कोई नेता तो मुखर नही हुआ लेकिन पूर्व विधायक संयम लोढा सर्वत्र अपनी उपस्थित दिखाकर भाजपा संगठन को घेरने में नही चूक रहे तथा आगामी पंचायतीराज चुनावो व नगर परिषद, नगरपालिका के चुनावो को लेकर उन्होने अपनी रणनीति तय कर संगठन को एक्टिव करने के साथ आन्दोलनो की रूपरेखा के साथ भाजपा में सेंधमारी करते हुए अपने दूत छोड दिये है।
सिरोही जिले के राजनीतिक हालातो के सुधार व डबल इंजन सरकार की योजनाओ व विकास कार्यो का फायदा दिलाने में सांसद, राज्यमंत्री, जिला प्रमुख, विधायक आबू पिण्डवाडा व भाजपा जिला संगठन के आगेवानो ने कारगर रणनीति में पूरी एकजुटता के साथ नवीन जिला कार्यकारिणी में नये पुराने कार्यकर्ताओ का संमिश्रण कर मोर्चा प्रकोष्ठो में उर्जावान कार्यकर्ताओ का चयन नही किया तो अभी भी आवाज मुखर नही हो रही है लेकिन मंडलो की कार्यकारिणी गठन होने के बाद मंडलो में अनेक स्थानो पर विरोध के सुर सुनाई दे रहे है अब भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. रक्षा भण्डारी जो राजनीति की मंझी हुई खिलाडी है जिसे प्रदेश नेतृत्व में जिले की अहम जिम्मेदारी सौंपी है और उनकी भविष्य में बनने वाली जिला कार्यकारिणी में विगत दशक में भाजपा संगठन की हिलचाल को ध्यान में रख संगठन की मजबूती में पदाधिकारियो का चयन नही किया तो उन्हे आने वाले समय में कांग्रेस की चुनौती तो नही मिलेगी लेकिन पूर्व विधायक संयम लोढा अपना वर्चस्व बढाने में राजनीतिक तौर पर बडा आन्दोलन करने की पृष्ठ भूमि तय कर चुके है।
सोसल मीडिया में उनके समर्थक जम कर विभिन्न जन समस्याओ के नाम सोसल मीडिया में भाजपा सरकार व जन प्रतिनिधियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। जबकि भाजपा में मीडिया ,सोसल मीडिया,हर मण्डल में मीडिया व सोसल मीडिया प्रभारी होने के बावजूद डबल इंजन की सरकार की विकास योजनाओं की जानकारी व विपक्षियों के भाजपा सरकार व आंदोलनों की भूमिका पर भाजपा का पक्ष रखने की जहमत नही है।

संपादक भावेश आर्य