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सारणेश्वर महादेव एवं सुंधामाताजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में संत, जनप्रतिनिधियों और समाज के प्रबुद्धजनोंने व्यक्त किए सारगर्भित विचार


– मामावली गांव, सिरोही जिला में भव्य धार्मिक आयोजन में उमड़ा आस्था का सैलाब

सिरोही(हरीश दवे) ।

सिरोही जिले के मामावली गांव में आयोजित सारणेश्वर महादेव और सुंधा माताजी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान धर्म, संस्कृति और सामाजिक चेतना के अद्भुत संगम की झलक देखने को मिली। इस शुभ अवसर पर आयोजित समारोह में मंचासीन संतों, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार रखते हुए मंदिर निर्माण को सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक जागरण का केंद्र बताया।

इनका सानिध्य रहा

श्री 1008 दंडी स्वामी देवानंद जी महाराज,1008 श्री ब्रह्मानंद जी महाराज, श्री 1008 श्री सत्यानंद जी महाराज, श्री 1008 करणगिरी जी महाराज समेत सैकड़ो संतो का सानिध्य प्राप्त हुआ.

इनकी रही उपस्थिति

सांसद लुबाराम चौधरी, विधायक ओटाराम देवासी, आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित, सिरोही पूर्व विधायक संयम लोढ़ा, रेवदर पूर्व विधायक जगसीराम कोळी आदि अतिथियों का बहुमान के लाभार्थी लक्ष्मण पुत्र भीमाजी फोदर परिवार ने किया एवं सभी संत महात्माओ का बहुमान गोविंद पुत्र हकमाजी फोदर परिवार की ओर से किया गया।

परम पूज्य देवानंदजी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि, “जब तक धर्म की नींव गाँवों में मजबूत नहीं होगी, तब तक समाज का समग्र उत्थान अधूरा रहेगा। यह मंदिर केवल एक देवालय नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।”

सांसद लूंबाराम चौधरी ने मंदिर स्थापना को ग्रामीण विकास और सांस्कृतिक पर्यटन से जोड़ते हुए कहा, “धार्मिक स्थलों का विकास, क्षेत्रीय समृद्धि का माध्यम बनता हैं। ऐसे आयोजन केवल भक्ति तक सीमित नहीं रहते, बल्कि सामाजिक सद्भाव, क्षेत्रीय पर्यटन और युवा चेतना को नई दिशा देते हैं।”

जिला प्रमुख अर्जुनराम पुरोहित ने इसे गांव की सामूहिक चेतना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “गांव-गांव में ऐसे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सामाजिक एकता और महिला-पुरुष सहभागिता का परिचायक बनते हैं। यह मंदिर ग्राम गौरव और ग्रामीण जागरूकता का केंद्र है।”

धार्मिक विचारक सत्यानंद महाराज ने गूढ़ आध्यात्मिक संदेश देते हुए कहा, “ईश्वर की स्थापना सबसे पहले मन में होनी चाहिए। मंदिर तो उसका बाह्य प्रतीक हैं, लेकिन यह महोत्सव आत्मिक जागरण का उत्सव हैं – जिससे व्यक्ति स्वयं को जानने की ओर अग्रसर होता है।”

आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने स्थानीय नेतृत्व और ग्रामीण सहभागिता की सराहना करते हुए कहा, “धर्म, विकास और परंपरा – जब तीनों एक मंच पर आते हैं, तब गांवों का वास्तविक उत्थान संभव होता हैं। मामावली की यह पहल निश्चित ही अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बनेगी।”

पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने अपने वक्तव्य में कहा, “आज जब नई पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ों से दूर होती जा रही है, ऐसे धार्मिक आयोजन उसे अपनी संस्कृति से जोड़ने का उत्तम माध्यम हैं।”

समारोह में समाज के हजारों श्रद्धालु, ग्रामीणजन, साधु-संतों और महिला मंडलों की उपस्थिति रही। भजन-कीर्तन, धार्मिक झांकियाँ, शोभायात्रा और महाप्रसादी जैसे कार्यक्रमों ने आयोजन को भव्यता और भक्तिभाव से परिपूर्ण बना दिया।

यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सिर्फ एक मंदिर स्थापना का आयोजन नहीं था, बल्कि ग्राम संस्कृति, लोक आस्था और सामाजिक एकता का पर्व बन गया, जिसे सभी वक्ताओं ने अपनी वाणी से सशक्त अभिव्यक्ति दी और ग्रामवासियों को बधाई देते हुए धर्मपथ पर संगठित रहने का संदेश दिया।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मे सुप्रशिद्ध भजन सम्राट श्याम पालीवाल, जोगभारती आदि ने एक से बढ़कर एक धार्मिक भजनो की प्रस्तुति देकर भक्तो को झूमने पर मजबूर कर दिया।
प्रतिष्ठा मे राजपुरोहित फोदर परिवार के सौ घर वालों ने आने वाले सभी भक्तो की दिल खोलकर सेवा कर पुण्य अर्जित किया। मामावली राजपुरोहित परिवार की ओर से आने वाले सभी भक्तो का हार्दिक आभार जताया जिन्होंने समय निकालकर कार्यक्रम को सफल बनाया। मंच का संचालन सुरेश जुगनू ने किया।

संपादक भावेश आर्य

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