ब्रेकिंग न्यूज़

समाज हिन्दू होने पर गर्व करें, सनातन संस्कृति इस राष्ट्र की पहचान : महंत परशुरामगिरी महाराज

खंडेलवाल समाज के वार्षिक मेलोउत्सव के अवसर पर किया एकजुट होने का आवाहन, समाज में हो संस्कार शिविरों का आयोजन, कनाना मठ पीठाधीश्वर महंत का समाज ने किया अभिनंदन

सिरोही(हरीश दवे)।

हिंदू परिवारों में सप्ताह में एक दिन अथवा निरंतर अपने बच्चों को पास बैठाकर हमारी सनातन संस्कृति, धर्म,शास्त्र, उपनिषद वेद पुराण और देवताओं आदि की चर्चा करनी चाहिए, उन्हें अपने कुल,गोत्र आदि से परिचय कराए, हम हमारी गौरवशाली हिन्दू परंपरा के वाहक है। यह आवाहन करते हुए कनाना मठ गादीपति महंत 1008 परशुरामगिरी महाराज ने खण्डेलवाल समाज के वार्षिक मेलौत्सव के अवसर पर उपस्थित समाज को संबोधित करते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए समाज में संस्कार शिविरों के आयोजन की आवश्यकता जताई।

मुख्यालय स्थित खंडेलवाल छात्रावास प्रांगण में खंडेलवाल वैश्य समाज महासंघ नवपरगना सिरोही द्वारा आयोजित श्री ठाकुरजी चारभुजाजी मंदिर के वार्षिक मेला एवं भक्ति महोत्सव के पावन अवसर पर शुक्रवार रात्रि को भारी तादाद में उपस्थित समाज बंधुओ, माता बहनों और युवा तरुणाई से आवाहन करते हुए महंत परशुरागिरी महाराज ने कहा कि हम समरस भाव की परंपरा में जीने वाले लोग हैं भले आप अपनी जाति पर गर्व कर लेना,भले आप वैश्य होने पर गर्व करो लेकिन उससे सो गुणा ज्यादा आप अपने आप को हिंदू होने पर गर्वित और स्वाभिमान होने का भाव जागृत रखना। उन्होंने कहा कि समाजों को जातिवाद व भेदभाव की खाई को पाटकर पहली जरूरत है कि समस्त हिंदू समाज समरस बने तब ही भारत समर्थ होगा।

महंत परशुरामगिरी ने विशेष माता बहनों से अपील कर कहा कि सप्ताह में एक दिन या जब भी आपको टाइम मिले अपने घर में बच्चों को पास बिठाकर उन्हें अपने महापुरुषों की चर्चा जरूर कीजिए, आने वाली पीढ़ी को हमारी सनातन संस्कृति, कुल गोत्र आदि की जानकारी दीजिए, हमारे वेद पुराण, शास्त्र, रामायण, गीता, भागवत, उपनिषद आदि की बड़ी दिव्य अविरल धारा पर ज्ञान चर्चा कीजिए। महंत ने कहा कि भारतवर्ष में रहने वाले हिंदुओं पर हमारे ऋषि मुनियों का ऋण हमारे ऊपर है हमारी पहचान भले आज आधार कार्ड से होती होगी लेकिन हमारी असली पहचान आधार कार्ड नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, धर्म और कुल परंपरा ही हमारी पहचान है। परशुरामगिरी महाराज ने समाज के अग्रणी बंधुओ से अपील करते हुए कहा कि आने वाले समय में समाज में जब भी इस प्रकार का स्नेह मिलन, उत्सव,मेला का आयोजन हो तब एक सत्र संस्कार शिविर का भी आयोजित करें ताकि बच्चों को पता चले की मातृ ऋण, आचार्य – पितृ ऋण क्या है उसके बारे में जाने, बताया कि हम परम सौभाग्यशाली है कि हमें भारत भूमि पर जन्म मिला और उसमें श्रेष्ठ मनुष्य योनि एवं हिंदू धर्म जिसका कोई सानी नहीं। बताया कि अगर हमारा जन्म भारत में न होकर विदेश में होता तो गंगा को माता नहीं रिवर कहकर पुकारते जबकि हम प्रकृति, तुलसी, पीपल, नदी पहाड़ आदि का पूजन करने वाले लोग हैं। कहां की भारत की धन्य धरा ऋषि मुनियों की पावन तपोंभूमि है इसकी अक्षुण्यता को कोई मिटा नहीं सकता। महंत ने खंडेलवाल समाज के वार्षिक मेला के अवसर पर सभी को धनधान्य देने से समृद्ध बनने का आशीर्वाद प्रदान करते हुए शुभकामनाएं दी। महंत ने बड़ी संख्या में प्रवासियों के आगमन पर प्रसन्नता जताई और कहा की जननी जन्मभूमि के प्रति लगाव और श्रद्धा के निमित्त आप पधारे है तो आपको आयोजन के समापन के बाद घर जाते वक्त कुछ संकल्प लेकर घर जाना है ताकि आपका परिवार और समाज समृद्ध व सशक्त बन सके।

इससे पूर्व महासंघ परिवार की ओर से अध्यक्ष भगवतीप्रसाद नाटाणी, महामंत्री जगदीश कायथवाल, उपाध्यक्ष रतनलाल खूंटेटा बालोतरा, कैलाश नाटाणी मोहब्बत नगर, लोकेश खंडेलवाल सिरोही, प्रकाश कायथवाल सहित कार्यकारिणी परगनाध्यक्षों आदि ने महंत का शॉल माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया।

राष्ट्र सुदृढ़ व मजबूत हाथों में है आसुरी आतताइयों का बदला रक्त सिंदूर से लिया :

कनाना मठ महंत पीठाधीश्वर परशुरामगिरी ने कश्मीर में हाल ही घटे पहलगाम आतंकी हमले का स्मरण करवारकर सनातनियों को सावधान रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधर्मी आतंकवादियों ने कश्मीर में हमारी बहन बेटियों का सिंदूर उजाडा वहां जाति नहीं पूछी, केवल एक ही बात भी पूछी की हिंदू हो या मुस्लिम। इसलिए एकजूट रहने की आवश्यकता है। बलशाली भारत आज सुदृढ़ हाथों में सुरक्षित है आप निश्चिंत रहे यह राष्ट्र परम वैभव की ओर बढ़ रहा है। हमारी मातृशक्ति का सिंदूर मिटाने की कोशिश करने वालों और बाधाओं से कड़ाई से निपटा जा रहा है हमारी सेना ने सिंदूर का बदला पराक्रम, शौर्य और रक्त सिंदूर के माध्यम से घर में घुसकर मारकर स्पष्ट संदेश दिया है। भारत ने विश्व पटल पर अंकित कर दिया कि हम दुश्मन को ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं। महंत ने सभी से हाथ खड़े करवाकर भारत माता की जय के नारे लगवाए।

संपादक भावेश आर्य

Related Articles

Back to top button