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मई माह में होगा सिरोही के 600 वे स्थापना दिवस का समारोह,पहलगाव में आतंकी वारदात के बाद आयोजन में सादगी,


आतंकी हमलों के शिकार मृतकों को दी जाएगी श्रद्दांजलि,
जामनगर के युवराज अजय जडेजा व अनेक पूर्व नरेश होंगे अतिथि।

सिरोही (हरीश दवे) ।

आगामी अक्षय तृतीया के दिन देवनगरी सिरोही अपनी स्थापना के 600 वर्ष पूरे करेगी। इस अवसर पर राज्य सरकार व पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित सिरोही स्थापना दिवस को पहलगाम आंतकी हमले के बाद जिला प्रशासन ने स्थगित रखा है लेकिन 600 वर्ष पूरे होने के अवसर को यादगार व जीवंत इतिहास के साथ अपने नगर की स्थापना को इस सदी में यादगार बनाने के लिये सिरोही राजदरबार ने भी जोरदार आयोजन तय किये थे लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद उन्होने इस स्थापना दिवस के आयोजन को सीमित व साधारण रखा है। यह आयोजन 100 वर्ष पूर्व भी सिरोही राजमहल में हुआ था जब सिरोही स्थापना के 500 वर्ष पूरे हुए थे।
सिरोही के दूरदर्शी युवराज इन्द्रेश्वरसिंह देवड़ा अपनी पुरानी रियासत सिरोही के 600 वर्ष पूरे होने और इसे सिरोही की जनता का कार्यक्रम बनाने के लिये विगत महिनो से कार्य योजना पर जुटे हुए थे और उन्होने सिरोही जिले के समस्त ठिकानो, नगर के समस्त समाज, स्वयंसेवी संस्थाओं व गणमान्य बुद्धिजीवियो से भी संवाद सम्पर्क व सजग तन्त्र रखा।
गत कोंग्रेस सरकार के कार्यकाल में सिरोही स्थापना दिवस को अलग तरीके से मनाया गया तब नगर के अनेक गणमान्य जनो ने पूर्व नरेश पद्मश्री रघुवीर सिंह देवड़ा से आग्रह किया तब पूर्व नरेश ने अपने पूर्व रियासती सूबे की रियाया के लिए राजमहल में 600 वा स्थापना दिवस मनाने का इरादा जाहिर कर दिया था जिसे मूर्त रूप पूर्व नरेश के मार्गदर्शन में युवराज सिरोही अनूठा व राजसी वेभव व सिरोही रियासत की शान व उसकी हिस्ट्री को सांस्कृतिक समारोह के रूप में सिरोही नगर की स्थापना को सिरोही का जन आयोजन बनाने में नायाब भूमिका तैयार कर चुके थे। लेकिन कश्मीर के पहलगाम में जघन्य नृशंस मानवताविरोधी आंतकी कृत्य से पूरे देश की जनता व हिन्दू जनमानस आहत है उसको लेकर आयोजन को 600 वर्ष के स्थापना दिवस की याद में सामान्य रखा।
जानकारी के अनुसार सिरोही पूर्व राजपरिवार की ओर से स्थापना दिवस के अवसर पर अक्षय तृतीया के दिन बुधवार को सिरोही के आराध्य देव सारणेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर पहलगाम आतंकी हमले में दिवंगत देशवासियों की आत्मा की शांति घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की जाएगी। व शांति पाठ होगा। उस दिन सारणेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। इसके बाद मई माह में किले में स्थापना दिवस समारोह आयोजित होगा। जिसमें गणपति वंदना से कार्यक्रम शुरू होगा। समारोह में महिलाओं का तलवार नृत्य, देवासी समाज का गेर नृत्य, म्यूजिक कार्यक्रम, सिरोही किले के निर्माता महाराव सहस्रमल पर म्यूजिकल रचना की म्यूजिकल प्रस्तुति, तबला, हारमोनियम पर देशी रीत गीत, पियानो वादन, कविता सहित अनेक सांस्कृतिक आकर्षक कार्यक्रम होगे तथा इस अवसर पर 5.30 से 7.00 बजे तक आतंकी हमले के शिकार मृतको को श्रृद्धांजलि अर्पित की जायेगी।
जाम नगर युवराज अजय जाडेजा करेगे शिरकत
इस अवसर पर राजपरिवार के अनुसार इस बार सिरोही की स्थापना के 600 साल स्थापना के आयोजित समारोह में पूर्व क्रिकेटर व जामनगर युवराज अजय सिंह जड़ेजा मुख्य अतिथि होंगे। तथा देश के विभिन्न पूर्व राजघरानों के सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा जिले के जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, प्रतिष्ठित नागरिक व शहर व जिलावासी सहित करीब 5 हजार से अधिक लोग होंगे शामिल। इसको देखते हुए तैयारियाँ की जाएगी।
600 वर्ष का हुआ सिरोही अक्षय तृतीया के दिन सिरोही की स्थापना को 600 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस अवसर पर सिरोही पूर्व राजपरिवार की ओर से सिरोही के 600 वें स्थापना दिवस पर समारोह निर्धारित किया था, लेकिन इसी बीच पहलगाम के आतंकी हमले में कई देशवासियों की जानें जाने से आहत पूर्व राजपरिवार ने
600 वर्ष का सफर गौरवशाली इतिहास
चन्द्रावती व आबू देलवाडा परमार राजवंश के हाथो यवन आक्रांतो द्वारा छीने जाने के बाद राव लुम्बा ने चन्द्रावती व आबू पर अधिकार किया। उन्ही के वंशज राव शिवभान ने यवन व मुस्लिम हमलो से अपनी जनता को सुरक्षित करने के निमित्त राजधानी सिरोही में बनायी व ईशवी 1405 में पुराने खोबा नगरी में सिरोही राजधानी बनी व 1405 ईस्वी में महाराव सहस्त्रमल ने शिवपुरी वर्तमान सिरोही नगरी की आधारशिला रखी। सिरोही रियासत में राव मानसिंह, राव सुरताण, राव अखेलाव इत्यादि अनेक प्रतापी राजा हुए है और दशवी शताब्दी से निर्मित देवालयो के अलावा देवडाराज अपने स्थापना काल से शिवभक्त रहा है और सिरोही जिले में 52 से ज्यादा प्राचीन देवालय जो विश्व में धार्मिक पर्यटन में जिले के नाम की धाक रखते है तथा सिरोही के आराध्य सारणेश्वर महादेव मंदिर भी राज परिवार ही नही जिले की जनता के आराध्य का प्रमुख केन्द्र है।
नगर के बुजुर्ग व युवा अवस्य सिरोही के 600 वर्ष पूरे होने व महल खुलने व जनता के लिए सिरोही का स्थापना दिवस सिरोही के राज परिवार की मेजबानी के भाब से आम जन भी गदगद है।
सिरोही के पूर्व नरेशो ने सिरोही नगरी की जनता की सभी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 7 से ज्यादा तालाब दर्जनो बावडीया कुए व मदिर निर्मित किये थे व गौशाला के लिये भी हर गांव व शहर में गोचर छोडे थे। सिरोही जिले में सडक व रेलवे भी राव केसरसिंह के समय आ चुकी थी तथा अस्पताल, स्कूल व सामुदायिक केन्द्रो के साथ सिरोही का आधुनिक विकास रियासत काल में हुआ था।
अनेक परम्पराये जिसमें गणगौर, आखाबोर, देवासी समाज के आयोजन, देवझुलनी एकादशी अनेक परम्पराये विकास के साथ अब लुप्त होती जा रही है तथा जिले में मशहुर तलवार व मोजडी उद्योग सरकारी संरक्षण के अभाव में पूर्णतया ठप हो चुका है तथा सिरोही के नाम से बिकने वाली तलवार व मोजडिया न के बराबर बिकती है व अम्बाजी से आये हुए आर्टिकल सिरोही की तलवार बनकर बिकते है।
अगर सिरोही के परम्परा गत तलवार उधोग व मोजरी,रंगरेजों की रंगदारी व मोजरी उधोग को सरंक्षण मिला होता तो यहाँ के कारीगरों के हस्त शिल्प से बनी तलवार व मोजरी आम जन को देश विदेश में सिरोही की तलवार व मोजरी के स्थानीय कारीगरों की धूम होती।
सिरोही स्थापना के 600 वर्ष पूरे होने की खुशी अवस्य आम जन में है।और देश की जनता के जन मानस पर कश्मीर पहलगाव में हुए आतंकी वारदात पर गहरा आक्रोश है।
ओर स्थापना दिवस के आयोजन में सिरोही वासी सद्गत मृतकों के मोक्ष की कामना के साथ सामूहिक श्रद्धांजलि में श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।

संपादक भावेश आर्य

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