एमओयू करवा संयम लोढा बेपरवाह, राज्यमंत्री ओटाराम देवासी करवायेगे क्या अर्बुदा गौशाला की समीक्षा

अर्बुदा गौशाला डेयरी फार्म एमओयू के बावजूद बेसहारा पशुओ से आतंकित है शहर
सिरोही 22 फरवरी (हरीश दवे) ।

देवनगरी सिरोही व जिला देवभूमि में शुमार है जहां दसवी सदी के जिले भर में प्राचीन देवालय व शिवालय पूरे प्रदेश में जिले को धार्मिक पर्यटन में एक तीर्थ माना जाता है और अध्यात्मिकता व धार्मिकता से ओतप्रोत जिले में पूर्वकाल से ही गोसंरक्षण व गोपालन यहां के निवासियो का प्रमुख कार्य रहा है और रियासतकाल से देश की आजादी के बाद तक यहां के हुक्मरान व शासको ने गोसंरक्षण व संवर्धन के लिए गौशालाओ की स्थापना की व रजवाडाकाल में हर ग्राम में गोचर भूमि रखी गई। लेकिन आजादी के बाद जिला मुख्यालय की अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म समेत जिले भर के गोचर भूमि में अतिक्रमण बढे व भूमि कब्जा हुई जिस पर जनता की मांग के बावजूद कोई कार्यवाही नही हुई यह अलग बात है कि केन्द्र व राज्य सरकार गोसंरक्षण व गोसंवर्धन के लिए बहुतेरे प्रयास करती है लेकिन करोडो रूपये का दान अनुदान देने के बावजूद जिले में पशुधन बेसहारा होकर सडको पर भटक रहा है। गत राज्य कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पूर्व सीएम सलाहकार संयम लोढा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर सिरोही नगर की जनता को बेसहारा पशुओ से निजात दिलाने व गोसंरक्षण संवर्धन के लिए एक निजी गौशाला का अर्बुदा गौशाला के साथ एमओयू करवाया। एमओयू नंदी गौशाला का हुआ साथ ही नगर के भटकते गोवंश को भी अर्बुदा गौशाला में स्थान देना था लेकिन वर्तमान समय में नगर में बेसहारा पशु भटक रहे है। नंदी रास्तो पर झगड रहे है व गोवंश क्रुरता का शिकार हो रहा है जिससे सिरोही की धर्मप्रेमी जनता की भावना पर गहरा आघात पड रहा है। लेकिन न तो मौजूदा जिला प्रशासन न जनप्रतिनिधियो को इस दिशा में गोसंरक्षण संवर्धन के हित में माकुल कार्यवाही की दरकार है।
अर्बुदा गोशाला का संचालन जब निजी हाथों में आने पर शहरवासियो को लगा कि सड़कों व गलियों में घूम रहे गोवंश को अर्बुदा गोशाला में आश्रय मिलेगा और उनको पर्याप्त चारा, पानी व शुध्द वातावरण मिलेगा लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसे हालात हो गए। दो हजार बीघा भूमि निजी गौशाला को एमओयू कर सौपी, साथ ही विकास के लिए 5 करोड़ रुपये व नंदीयो के लिए 12 माह का अनुदान देने के बाद भी एक वर्ष में निजी हाथों से संचालित इस स्टेट गोशाला में शहर की केवल ओर केवल 387 गोवंश को ही आश्रय मिला।
आखिर शहर में विचरण कर रहे गोवंश को अर्बुदा गोशाला में नगर परिषद प्रशासन क्यो नही भेज रहा। राज्य सरकार ने जब सभी गोशालाओ से सूचना मंगवाई तब पता चला कि मात्र 387 गोवंश को ही अर्बुदा गोशाला में लिया गया है।
यह गम्भीर विषय है और सरकार व अर्बुदा गोशाला के बीच हुए अनुबंध की शर्तों का खुला उल्लंघन है। हजारों बीघा भूमि व 5 करोड़ रुपये देने के एमओयू के पीछे सोच यही थी कि शहर में कोई गोवंश गली मोहल्लो व सड़को पर दिखाई नही देवे। हकीकत इसके विपरीत ही है, आज हाईवे, स्टेट वे ओर शहर की बस्तियों में झुंड के झुंड गोवंश घूमता दिखता है फिर भी नगर परिषद इनको पकड़ कर अर्बुदा गोशाला में सुपुर्द नही कर रही है, आखिर क्यों नगर परिषद इस तरफ ध्यान नही दे रही है अब तो पार्षदों का भी कोई दबाव नही है और अतिरिक्त जिला कलेक्टर नगर परिषद में प्रशासक लगे हुए है फिर भी हालत ढाक के तीन पात जैसे बने हुए है।
समाजसेवी दिनेश प्रजापत ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिरोही बाजार, बस स्टेण्ड व चौराहो, आम सडक पर आमजन, सीनियर सीटिजन, महिलाओ व स्कुली छात्रो को प्रतिदिन बेसहारा पशुओ के आतंक को झेलना पडता है। पूर्व सीएम सलाहकार भले ही चुनावो में हार गये हो लेकिन उन्होने जिस प्रकार अर्बुदा गौशाला का एमओयू निजी गौशाला से करवाया तो उन्हे गोसंरक्षण व संवर्धन के लिए विपक्ष में रहकर भी कार्यवाही करनी चाहिये।
हिन्दू वेव के जिला संयोजक हरीश दवे ने बताया कि अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म के एमओयू की समीक्षा कर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने सिरोही आगमन के बाद पहली बार कहा था लेकिन अर्बुदा गौशाला में चल रही गतिविधियो व शहर के बेसहारा पशुधन की समस्या के समाधान में वो भी दिलचस्पी नही ले रहे जबकि जिला मुख्यालय पर करीब पांच हजार बीघा अर्बुदा गौशाला की भूमि जो भूमाफियाओ के चपेट में है, भूमाफियाओ को खदेड अगर मौजूदा भाजपा सरकार राज्यमंत्री व सांसद पहल करे तो अर्बुदा गौशाला व डेयरी फार्म में बडा डेयरी उद्योग अमूल व सरस की तर्ज पर पनप सकता है व उद्योग ध्ंाधो से वंचित जिला मुख्यालय पर डेयरी उद्योग से पशुपालक वर्ग में रोजगार की विपुल संभावना बढ सकती है।


संपादक भावेश आर्य