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वराड़ा हनुमानजी मेले में आध्यात्मिक उत्साह और जनसमूह का अद्भुत संगम


—भव्य आयोजन में जनप्रतिनिधियों और साधु-संतों ने की आयोजक परिवार की सराहना

—सभी अतिथियों और लाभार्थियों का हुआ बहुमान

सिरोही(हरीश दवे) ।

जावाल निकटवर्ती वराड़ा स्थित श्री हनुमान मंदिर में शनिवार को आयोजित धार्मिक मेले ने आस्था, परंपरा और जन-एकता का ऐसा अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया, जो वर्षों तक स्मरणीय रहेगा। विक्रम संवत 2082 वैशाख शुक्ल षष्ठी के पावन अवसर पर आयोजित इस भव्य मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।

आयोजन की गरिमा सांसद लूंबाराम चौधरी, जिला प्रमुख अर्जुनराम पुरोहित,पूर्व विधायक संयम लोढ़ा, प्रधान हसमुख मेघवाल, उपप्रधान नारायणसिंह देवड़ा, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता जोगेंद्रसिंह सिलोर सहित कई जनप्रतिनिधियों एवं धर्मप्रेमियों की उपस्थिति से और भी बढ़ गई।

सभी गणमान्य अतिथियों ने मंच से आयोजक परिवार — स्वर्गीय छोगाजी झालाजी पलायसा की स्मृति में किए गए इस धार्मिक आयोजन की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए इसे सामाजिक समरसता और परंपरा की सशक्त कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का माध्यम बनते हैं।

मेले में परम पूज्य श्री रामदासजी महाराज (जोधपुर), श्री कृष्णानंदजी महाराज (हरिद्वार), श्री प्रज्ञानंदजी महाराज (रायपुर) एवं श्री शांतानंदगिरीजी महाराज (बेंगलुरु) के प्रवचनों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। भजन-सत्संग की इस शृंखला में भक्तिभाव की अनूठी अनुभूति हुई।

पलायसा परिवार के गोपाल,राजेश,मनोज, विपुल एवं योजित इस आयोजन के मुख्य लाभार्थी रहे,जिन्होंने पूरे आयोजन की व्यवस्थाएँ सेवा-भाव से निभाईं। वक्ताओं ने मंच से इन सभी का सार्वजनिक रूप से बहुमान किया और प्रशंसा की।

कार्यक्रम में इस अवसर पर श्री वराडा हनुमान जी सेवा समिति के अध्यक्ष गिरधारीलाल पुरोहित,उपाध्यक्ष शेलसिंह राठौड़, कोषाध्यक्ष पुनमाराम सुथार, सचिव राजाराम देवासी व सदस्य वसंत लुहार, वेळाराम घांची, झालाराम मेघवाल, तोलाराम प्रजापत, मुनीम वसंत पुरोहित समेत समस्त ग्रामवासियो का समावेश रहा। मेले मे आसपास से सभी गांवो के छत्तीसकौम समाज बन्धुओ ने शिरकत कर कार्यक्रम को सफल बनाया और आयोजन में योगदान दिया।
रात्रि भजन संध्या में सुप्रसिद्ध कलाकार रामेश्वर माली व मीनाक्षी वैष्णव एंड पार्टी ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियाँ देकर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं सरदारसिंह राजपुरोहित ने माता के स्वांग में शानदार नृत्य प्रस्तुत कर संपूर्ण वातावरण को भक्तिरस में डुबो दिया।

इस प्रकार वराड़ा का यह मेला आस्था,परंपरा और एकता का जीवंत उदाहरण बनकर सम्पूर्ण हुआ।

संपादक भावेश आर्य

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