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प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक का शुभारम्भ


सिरोही 22 अप्रेल (हरीश दवे) ।

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान से सम्बद्ध आदर्श शिक्षा समिति सिरोही द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिरों के प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक का शुभारम्भ 22 अप्रैल को आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक सिरोही में हुआ। जिला सचिव लकाराम चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि उद्घाटन समारोह में अखिल भारतीय मंत्री शिवप्रसाद, श्रवण मोदी, क्षेत्र सह सयोजक पूर्वछात्र परिषद निर्मल गहलोत, संगठन मंत्री जोधपुर प्रान्त रविकुमार,जोधपुर प्रान्त कोषाध्यक्ष विजय कुमार, प्रशिक्षण प्रमुख पूनमचंद पालीवाल, प्रान्त सचिव महेन्द्र कुमार दवे, प्रान्त निरीक्षक गंगाविष्णु, प्रचारक अनिल, जिला समिति अध्यक्ष कैलाश जोशी, व्यवस्थापक शंकर लाल पटेल, कोषाध्यक्ष छगन लाल माली, सहकोषाध्यक्ष भंवर सिंह आतिथ्य में प्रारंभ हुआ। उससे पूर्व भारतीय परम्परा के अनुसार पधारे हुए अतिथियों का तिलक लगाकर मौली बांधकर सभी का स्वागत सत्कार किया गया।
आदर्श शिक्षा समिति सिरोही के प्रान्त निरीक्षक गंगाविष्णु ने बताया कि जोधपुर प्रान्त का प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक 21 अप्रेल सायं से 23 अप्रेल दोपहर तक होगा। जिसमें सिरोही, पाली, बाली, नागौर, बाडमेर, जैसलमैर, बीकानेर, बालोतरा, जोधपुर जिला, जोधपुर महानगर, हनुमानगढ, गंगानगर आदि जिले के प्रधानाचार्य व जिला सचिवों ने भाग लिया। तीन दिवसीय इस बैठक में गतिविधि आधारित शिक्षण एवं सभी विषयों में शिक्षण प्रशिक्षण एवं अन्य गतिविधियों की चर्चा बैठक की गई। इस सत्र मंे जोधपुर प्रान्त में सेवानिधि में सर्वाधिक राशि एकत्र करने वाले जिला सचिव एवं प्रधानाचार्य को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया। जिसमें पुरे जोधपुर प्रान्त में सिरोही जिला प्रथम स्थान पर रहा। सिरोही जिले ने सेवा निधि धनसंग्रह राशि 42,00,000 रुपये एकत्र किये। यह सिरोही जिले की गौरव की बात है।
अखिल भारतीय मंत्री शिवप्रसाद ने बौद्धिक सत्र् में प्रधानाचार्यो को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनके विश्वव्यापी अनुभव का लाभ विद्या भारती परिवार को मिल सके, कई देशो की संस्कृति, सभ्यता, वहां के लोगो का व्यवहार के बारे में बताया। शिक्षा की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होने के कारण भारत विश्व गुरु था। भारत का बच्चा बच्चा वेदो का पठन पाठन करता था। जब दुनिया में शिक्षा नही थी तब भारत में उन्नत शिक्षा व संस्कृति व्याप्त थी। दुनिया भारत से ज्ञान प्राप्त करने के लिए तरसती थी। दुर्भाग्य से समय के साथ युगानुकुल परिवर्तन नही हुआ परन्तु हमारे ज्ञान की जडे इतनी गहरी थी। इससे हमारी संस्कृति समाप्त नही हुई। देश भर लगभग 16 लाख शिक्षण विद्यालय है। फिर विद्या भारती विद्यालय चलाने की आवश्यकता क्यो पडी। क्या किताबी ज्ञान के लिए नही बल्कि बालकों के सर्वागींण विकास के लिए ताकि पूर्ण भारत विश्व गुरु बने । इस पवित्र कार्य हम सभी कार्यरत है। पूर्व में भारत ने ताकतवर होते हुए भी आक्रमण करके विश्व गुरु नही था बल्कि अपने आचरण से विश्व गुरु था। वर्तमान में भारत के लोगो के आचरण एवं मानवीय मुल्यों का हनन हो रहा है। शिष्टाचार में गिरावट आ रही है। अतः हमें अध्यापन में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, शिष्टाचार विद्यार्थी को सिखाना है। तभी विद्या मंदिर का उद्देष्य पूर्ण होगा। हमे हमारे बच्चों को श्रेष्ठ बनाना है। तभी हमारा देश श्रेष्ठ बनेगा। यह कार्य आज के घरों में नही हो सकता, क्योकि घरों में संस्कारों की कमी है। उनके लिए पैसा ही सब कुछ है। घरों में सभी के अलग अलग कमरे है, बच्चों पर ध्यान नही दिया जाता है। अतः हमे अभिभावक सम्पर्क के माध्यम से उन तक पहँुचना है। भारतीयों मूल्यांे एवं भारतीय शिक्षण पद्धति के अनुसार शिक्षा विद्या भारती का मुख्य लक्ष्य है। क्योकि भारतीय शिक्षा पद्धति अनुसार हिन्ही माध्यम में अध्ययन से ही बालको में मानवीय मूल्यों का विकास सम्भव है। इस अवसर पर प्रान्त अधिकारी, सभी जिलों के जिला सचिव एवं प्रधानाचार्य- प्रधानाचार्य उपस्थित थे।

संपादक भावेश आर्य

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