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नियमो के विपरित सरपट दौडती बालवाहिनिया – जगह जगह ठहराव, क्षमता से ज्यादा सवारिया


जिला प्रशासन व जिला परिवहन महकमा ने नही दिया ध्यान तो अनहोनी की आशंका


सिरोही 6 मार्च (हरीश दवे) ।

जिले के सौ माध्यमिक स्कूलो में चल रही डेढ सौ से अधिक बालवाहिनीया तथा निजी स्कूलो में चल रही बाल वाहिनियो को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी की ओर से गाईडलाईन जारी कर इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये है तथा शिक्षा निदेशक की गाईडलाईन की पालना में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक श्रीमती मृदुला व्यास ने भी वाहनो की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित करते हुए स्कूली वाहन चालक को गणवेश व स्कूली बच्चो की सुरक्षा को लेकर विद्यालयो को निर्देशित किया गया है लेकिन सिरोही जिले के माध्यमिक प्रारम्भिक निजी विद्यालयो में चल रही बाल वाहिनीयो ने सरकारी नियमो को धत्ता दिखाने की ठान ली है जिस पर जिला प्रशासन, परिवहन विभाग व महकमा आंख मूंद कर बैठा है और किसी भयावह हादसे की बांट जो रहा है।
सिरोही जिले व जिला मुख्यालय पर बालवाहिनी के चालक परिचालक बिना वर्दी के अधिकांश ओल्ड मॉडल व खटारा वाहन जो फिटनेस के नियमो व मापदंड पर खरे नही उतरते। शहर में पिक आवर्स में बिना पिकअप पोईंट के बालवाहिनीया जहां मर्जी वहां ब्रेक लगाकर मुख्य सडक चौराहो व गलीयो में छात्रो को बालवाहिनीयो में सवार करवाती है जिससे सदैव दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। अधिकांश स्कूलो में छात्रो को लाने व ले जाने के लिये निजी पंजीकृत वाहन रिक्शा, मेटाडोर व जीप भी अपनी क्षमता से तीन गुणा छात्र छात्रा को ढो रहे है वही रेवदर, मंडार टोल प्लाजा बंद होने से भारी वाहनो की आवाजाही इस रोड पर बढ गई है। जिसकी चपेट में नियमो के विपरित दौडती बालवाहिनीया चपेट में आ सकती है। शहर के आयुर्वेदिक चौराहे, जेल चौराहे, घांचीवाडा, पैलेस रोड, हाउसिंग बोर्ड, अनादरा चौराहा, भाटकडा मोड इत्यादि शहर के प्रमुख सडक मार्ग व स्थानो पर भी एकाऐक ब्रेक लगाते है तथा मांडवा की तरफ एक निजी विद्यालय तथा अनेक निजी विद्यालयो में निजी वाहन बालवाहिनीयो के रूप में नियमो को धता दिखा बालवाहिनीयो को जिस प्रकार उपयोग करते है जिसमें न तो प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, न आपातकालीन सायरन, न अग्निशामक यंत्र, न पुलिस से सत्यापित स्टाफ की नियुक्ति है। विद्यालय प्रबंधनो की तरफ से बालवाहिनीयो को संचालन में त्रुटि व समय समय पर परिवहन विभाग द्वारा कार्यवाही की रस्म अदायगी की जाती है, जबकि छात्रो को भविष्य को संकट में डालने वाले व नियमो के विपरित बिना पिकअप पोईट निर्धारित बालवाहिनयो की स्कूली सेवा कभी भारी हादसे का सबब बन सकती है। इस बारे में जिला प्रशासन व निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को सोचना चाहिये।

संपादक भावेश आर्य

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