आदर्श फेम मुकेश मोदी व सांसद लुम्बाराम चौधरी का मिलन हुआ चर्चा का विषय

क्या सांसद लुम्बाराम चौधरी आदर्श क्रेडिट सोसायटी का धन निवेशको को दिला पायेगे?
सिरोही (हरीश दवे)।

आदर्श क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसाइटी के अगुआ रहे पेरोल पे रिहा मुकेश मोदी एवं जालौर सिरोही सांसद लुंबाराम चौधरी की गत दिनो एक स्थान पर 2 दिन पूर्व हुई गुपचुप मुलाकातो ने कई सवाल पैदा कर दिए है, दावा किया जा रहा है कि इस मुलाकात का मकसद आदर्श क्रेडिट सोसाइटी के निवेशकों को पैसा दिलवाने का है। करीब 14000 करोड़ से अधिक की राशि के गड़बड़ झाले का आरोप झेल रहे मोदी परिवार क़े सदस्य और उनके संचालक व स्टाफ 4 साल से अधिक समय से जेल में है.। करीब दो माह पूर्व मेडिकल ग्राउंड पर पैरोल लेकर बाहर आए मुकेश मोदी निवेशकों को पैसा लौटाने की बात कह रहे हैं इसी का खाका लेकर वे केंद्र और राज्य की सत्ता में बैठे हुए दल क़े सांसदों व मंत्रियों से मुलाक़ात कर रहे है। उनकी ताजा मुलाकात 26 दिसंबर को सिरोही के किसी स्थान में जालौर सिरोही सांसद लुंबाराम चौधरी से हुई मुलाकात का ब्यौरा अधिकारी रूप से दोनों की तरफ से अभी तक जारी नहीं हुआ है।
किंतु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही सदानंद ताम्रकार की एक पोस्ट जिसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा नियुक्त लिक्विडेटर निवेशकों का पैसा दिलवाने में उपयोगी नहीं है उसकी जगह आदर्श क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसाइटी को पुन प्रारंभ करने की सरकार इजाजत दे उसका नया बोर्ड बने जिसमें मोदी परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होगा और वे निवेशकों कों उस बोर्ड के माध्यम से पैसा दिलवाने का प्रयास करेंगे। लुंबाराम चौधरी सांसद बनने से पूर्व भी आदर्श क्रेडिट सोसाइटी में लाखों निवेशको के फसे पैसे वापस मिले इसक़े लिए आवाज़ उठाते रहे है सांसद बनने क़े बाद उन्होंने इसके लिए प्रयास तेज किये है किन्तु अभी तक नतीजा सिफर रहा।
केंद्र में सहकारिता विभाग मंत्रालय का प्रभार भी देश के होम मिनिस्टर अमित शाह के पास है मंत्रालय बनने के बाद भी अभी तक इस मंत्रालय ने आदर्श क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसाइटी के साथ-साथ जिले में कार्यरत कई मल्टी स्टेट क्रेडिट सोसाइटियों संजीवन, नवजीवन, अर्बुदा, समृद्धि, प्रगति, सुन्दरम, खेतेश्वर के संचालको द्वारा किये गये गबन के मामले में किसी भी तरह की कार्रवाई शुरू नहीं की है लोगों के अरबो रुपए डकार चुकी इन सोसाइटियों के ज्यादातर कर्ता धर्ता जेलों में बंद है या जमानत पर बाहर है। कुछ सोसाइटियों पर सरकार ने लिक्विडेटर जरूर नियुक्त किये है उन लिक्विडेटर ने कुछ जगह वसूली भी की किंतु उन वसूली में से प्राप्त रुपयों में से अधिकांश खर्च लिक्विडेटर व स्टाफ की सैलरी एवं ऑफिस के खर्चे में खर्च हो रही है लिक्विडेटर की समय सीमा भी निश्चित नहीं है ऐसे में निवेशकों का पैसा कैसे वापस मिलेगा इस पर संशय है ?
इधर मुकेश मोदी की तरफ से दिए गए प्रस्ताव पर बात की जाए यदि आदर्श क्रेडिट सोसाइटी को सरकार पुनः शुरू करने की अनुमति दे देती है तो सोसायटी में नये निवेशक कहां से आएंगे? और पहले के निवेशकों को पैसे कैसे लौटाएंगे? क्योंकि जो संपत्तियां सरकार की अलग-अलग एजेंसियों ने जब्त की है उसको बेचने के बाद भी इतनी कीमत नहीं आएगी जिससे निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके तो फिर मुकेश मोदी ऐसा प्रस्ताव उन राजनेताओं को क्यों दे रहे हैं। 5 साल पूर्व जब आदर्श के संचालकों को पुलिस ने हिरासत में लिया था तब भी वे चाहते तो निवेशकों का पैसा उस वक्त लौटा सकते थे या उस वक्त भी ऐसा प्रस्ताव सरकार को दे सकते थे अब अचानक इस तरह का प्रस्ताव लाने के पीछे क्या मकसद हो सकता है? सियासतदानो से मुलाकात कर मुकेश मोदी राजनीति में किस तरह की हवा बनाना चाहते हैं इस पर भी आमजन सोशल मीडिया जमकर सवाल उठा रहे है ? सवाल तो लोग उनके पैरोंल से बाहर आने पर भी उठा रहे हैं की क्या आदर्श जेल मैन्युअल 2016 के तहत मेडिकल ग्राउंड पर मिले पैरोल में मोदी इस तरह का प्रस्ताव लेकर राजनेताओ से मिल सकते हैं क्या सांसद लुंबाराम चौधरी ऐसे व्यक्ति से मुलाकात कर सकते हैं जिस पर हजारों करोड़ों का गबन का आरोप है? सांसद लुंबाराम चौधरी सिर्फ आदर्श क्रेडिट सोसाइटी के निवेशकों को पैसा लौटाने की ही बात क्यों करते हैं जबकि जिले में अन्य कई मल्टी स्टेट सोसाइटियों ने लोगों के पैसे डकार लिए उन पर वे कभी बात नहीं करते। सवाल कई है जिसके जवाब इन दोनों को देने हैं। पैरोल से बाहर आए मुकेश मोदी की राजनीतिक लोगों से मुलाकातो ने अपने करोडो रूपये इन सोसायटी में गवंा चुके निवेशकों के मन में बुझी हुई चिंगारी को फिर से हवा दे दी है। कुछ निवेशको का कहना है कि मोदी कहीं अपना छुपा हुआ पैसा सोसायटी शुरू होने पर उसमें निवेश कर दो नम्बर को एक में करने की कोशिश के लिए ये ताना बाना तो नहीं बुन रहे, बहरहाल मोदी की नेताओ से मुलाकातें सियासत में क्या गुल खिलााएगी ये तो वक्त बताएगा, पर इन मुलाकातो ने शहर की सर्द हवाओ के बीच लोगो को एक मुद्दा जरूर दे दिया है। किसी ने कहा भी है कि हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें है साहब.. कही बुझी राख भड़का दे तो कहीं जलते चिराग़ बुझादें।

संपादक भावेश आर्य