आपातकाल के योद्धा भीकमचंद जैन के असामयिक निधन पर दी श्रृद्धाजंलि, 60 साल के सामाजिक राजनीतिक जीवन मे किये जन हित मे अनेक आंदोलन,

सिरोही (हरीश दवे) ।

स्वतंत्र पार्टी से राजनीतिक जीवन शुरू कर समाजवादी नेता एवं आपातकाल में मीसा बंदी रहे व सदैव आमजन की समस्याआंे के लिए जुझने वाले स्वर्गीय भीकमचंद जैन का गत 23 अक्टुबर असामायिक निधन मुम्बई में हो गया। जिसको लेकर आज श्रृद्धाजंलि सभा वीर भगवान मंदिर के सभागार में हुई जिसमें नगर के प्रबुद्धजनो ने उनके चित्र पर माला पहना, धूपबत्ती कर अश्रुपूरित नेत्रो से उन्हे श्रृद्धासुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर उनके साथ मीसा बंदी रहे संघ के कार्यकर्ता व जनसंघ नेता हंसराज पुरोहित ने 1967 से अब तक उनके राजनैतिक संघर्ष व जीवन यात्रा की जानकारी देते हुए बताया की 1971 के लेवी आंदोलन,आपातकाल का विरोध उन्होंने जनसंघ व जनता पार्टी में रहते हुए किया व स्वर्गीय गोकुल भाई भट्ट,जनसंघ नेता आनन्द त्रिवेदी व मेने 18 माह मीसा बन्दी के रूप में जेल यातना सही। शिक्षा विद बलवीर मरडिया, समाजसेवी महावीर जैन,उप सभापति जितेंद्र सिंघी, लोकतंत्र रक्षा मंच के शंकरलाल माली, चम्पत मिस्त्री, एड अशोक पुरोहित, सुरेश सगरवंशी, विरेन्द्र सिंघवी, संजय मोदी, हेमलता पुरोहित, किशनलाल प्रजापत, ओमप्रकाश त्रिवेदी, ओमप्रकाश वैष्णव समेत दर्जनोजनो ने उनकी स्मृतियों को याद करते हुए श्रृद्धाजंलि अर्पित की।

हिन्दू वेव के अध्यक्ष हरीश दवे ने कहा की जुझारूपन व जन हित मे संघर्ष का माद्दा उनमें कूट कूट के भरा था।
दवे ने बताया की सिरोही नगर की जन समस्याओं को लेकर उन्होंने जब भी आंदोलन किये स्वर्गीय भीकमचंद जैन का सदैब उनको सहयोग रहा।व मृत्यु से पहले वो बिस्तर में स्वास्थय लाभ लेते हुए भी नगर की सीवरेज, एलएनटी व जलदाय विभाग की त्रुटियों पर वो अधिकारियों की जन विरोधी नीतियों पे लगाम कसते थे।

जैन पेढ़ी कल्याण जी परमानन्द जी के ट्रस्टी रहते हुए उन्होंने ट्रस्ट व जैन जगत की जागृति में अभूतपूर्व कार्य किये उनके असामयिक निधन से सिरोही जिले व जैन समाज व रास्ट्र वादी विचार धारा के एक सपूत को हमने खो दिया।
गत 15 अगस्त को राजस्थान सरकार ने लोक तन्त्र को बचाने में आपातकाल में उनके संघर्ष व मीसा के तहत जेल यातना भोगने व लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिला कलेक्टर सिरोही ने उन्हें सम्मानित किया था।
समाजसेवी महावीर जैन ने श्री जैन के निधन पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा की उनका निधन एक युग का अवसान है व राजनयिक व सामाजिक क्षेत्र में जन हित मे संघर्ष करने वाला व्यक्ति हमे छोड़ चला गया पर वो सदैव हमारी स्मृतियों में अजर अमर रहेंगे।



संपादक भावेश आर्य