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प्रतिभाओ की ऊर्जा परिवार समाज और देश हित मे काम करे – मेहता



श्रीगुरुकुलम का प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम सम्पन्न । आर.ए.एस. के निःशुल्क बेच 2 अक्टूबर से जीवन में सफल होना है तो अपनाए – ‘वन टू का फाईफ’ मंत्


सिरोही(हरीश दवे) ।

प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी करने वाले जिले के अग्रणी शिक्षण संस्थान श्रीगुरुकुलम सिरोही में हनुमान उपासक , चिंतक, लेखक एवं जीवन प्रबंधन गुरू पंडित विजय शंकर मेहता ने कहा कि जीवन में सफल होना है तो आपके जीवन में गुरू होना चाहिए गुरू और शिक्षक में एक बारीक अंतर है जिस तरह शिक्षा ओर विद्या में है । शिक्षक शिक्षा देकर कमजोरी दूर करेगा किंतु गुरू आपकी कमजोरी को अच्छाई में बदलेगा शिक्षक आपको शिक्षा दे सकता है लेकिन संस्कार गुरू से मिलेगा उन्होने कहा कि संस्कारो को ज्ञान के साथ गुंथने का सद्कार्य केवल गुरू ही कर सकता है । उन्होने कहा कि यदि आपको कोई गुरू नहीं मिल रहे तो आप हनुमान जी को अपना गुरू बना ले ओर हनुमान चालिसा को गुरू मत्रं । उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा में जीवन के सारे गुण समाहित है।
मेहता सिरोही में स्वामी नारायण मंदिर के सभागार में श्रीगुरूकुलम सस्था के 20 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कैलाश जोशी एवं उनकी टीम द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में चल रहे उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना की ।
’परिवार बचाओ अभियान -’उन्होने कहा कि विकसित देश में परिवार प्रबंधन विखंडित हो चुका है। हमारे यहां भी विकास की दौड़ में परिवारों के टूटने का खतरा बढ़ गया है इस परिस्थिति से हमें बाहर निकलना होगा। खुशियां परिवार में ही है परिवार ही भारत की असली पूंजी है इस पूंजी को हमें आजीवन संभाल कर रखना है।
’वन टू का फाइव मंत्र -’ उन्होने परिवारो को टूटने से बचाने ,जीवन में सफन होने के लिए ‘वन टू का फाईफ’ का मंत्र देते हुए समझाया कि इसे अपना कर हम कैसे सफल हो सकते है। उन्होने वन का आशय गुरु, टू का आशय माता-पिता, थ्री का आशय शरीर, मन व आत्मा, फोर का आशय धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष तथा फाईफ का आशय पंच तत्व से है। उन्होंने कहा कि इन्हें संतुलित करने व व्यवस्थित करने पर सफलता के द्वार आपके लिए खुल जाएंगे।
उन्होंने जीवन में पांच मार्ग से आने वाली अशांति का विस्तार से वर्णन किया चार मार्ग से आने वाली अशांति में उन्होंने गलत आचरण,संसार,सपंत्ति,स्वास्थ्य को बताया इन सबसे अलग संतान मार्ग से आने वाली अशांति को उन्होंने सबसे बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि संतान मार्ग से आने वाली अशांति से बड़े- बड़े परिवार टूट गए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी अशांति के लिए कोई दूसरा कारक नहीं बन सकता हमारी अशांति के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है।
’मन से आत्मा की ओर यात्रा -’ मेहता ने कहा कि मन का नियंत्रण में होना बहुत जरुरी है क्योंकि मन ही जीवन में अशांति का एक कारण है, मन पर नियंत्रण पाने का एक मात्र विकल्प यही है कि मन को उसका भोजन देना बंद कर दें, विचार और स्मृति मन का प्रिय भोजन है और मन अपना यह भोजन सांस के जरिए प्राप्त करता है, यदि मन को नियंत्रित करना है तो उसके इन दोनों भोजन को बंद करना होगा मन को ध्यान के सहारे एकाग्र किया जाना आवश्यक है। बीते हुए वक्त को कोई लौटा कर नहीं ला सकता। स्वास्थ्य को अच्छा रखना है तो सूरज के निकलने से पहले उठना जरूरी है। उन्होने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के बारे में बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों के लिए सबसे बड़ा धर्म अपने ज्ञानार्जन के लक्ष्य को पाने के लिए हर पल का ईमानदारी से निर्वहन करना होना चाहिए उन्होंने कहा कि विद्या अध्ययन के बाद अर्थ का अर्जन ईमानदारी और मेहनत के साथ करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में काम-वासना की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। कुसंग से दूर रहना, दुर्गुणों से मुक्ति पाना ही मोक्ष है।
अपने 90 मिनट की औजस्वी मृदु वाणी एवं सहजता के साथ हंसते- हंसते उपस्थित सभी जनसमुह को जीवन का पाठ उन्होंने कुछ ही पलों में पढ़ा दिया। अपने उदबोधन के समापन पर उन्होंने मुस्कान का संकल्प लोगों को दिलाया उन्होने कहा कि घर जब भी जाए हमेशा चेहरा मुस्कुराता हुआ रखें। अपने घर के लोगों के साथ प्रेम पूर्वक मीठी वाणी में बात करें फिर देखें जिंदगी में कितना बदलाव आता है। कार्यक्रम का शुभारंभ कर्नल शभुसिंह देवडा (सेवानिवृत्त) ,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण सैन, समाजसेवी भगवान अग्रवाल, प्रकाश सोनी, रमेश कोठारी, रघुनाथ माली, गणपतसिंह देवडा, डॉ.जगदीश आर्य, खुशवतं त्रिवेदी, जिला प्रमुख अर्जुन पुरोहित, सिरोही प्रधान हंसमुख मेघवाल,गलबाराम गोयल,औंकारसिंह उदावत, ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की ।

श्रीगुरूकुलम परिवार कीे तरफ से पंडित मेहता का शाल पहनाकर एवं दुपटटा ओढ़ा कर स्वागत किया । श्री गुरूकुलम के कैलाश जोशी ने संस्था के सफलता के बढ़ते 20 वर्ष की यात्रा के बारे में बताया । श्रीगुरूकुलम के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण सैन ने श्री गुरूकुलम से सफलता के लिए मिले सूत्र के अनुभव लोगो के साथ साझा किया । अतिथियो द्वार 20 प्रतिभावान छात्रों , शिक्षको को दुपटटा व प्रतिक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजेश बारबर एवं भगवतसिंह सोलंकी ने किया।

संपादक भावेश आर्य

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