व्यावसायिक प्रशिक्षकों की दुर्गति करती राजस्थान सरकार, सात माह का मानदेय बकाया, परिवारों के भुखे मरने की नौबत

सिरोही(हरीश दवे)।

राजस्थान में वर्ष 2014-15 से व्यावसायिक शिक्षा संचालित है। जिसमें विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाता कम्पनियों व राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् जयपुर ने टेण्डर प्रक्रिया से राजकीय विद्यालय हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षकों को लगाया है।व्यावसायिक प्रशिक्षक कक्षा 9 वीं से 12वीं तक के हजारों विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक कौशल की शिक्षा दे रहे है।इस केन्द्र प्रवर्तित योजना के अन्तर्गत केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मिलकर व्यावसायिक शिक्षा का बजट व्यावसायिक प्रशिक्षकों के मानेदय हेतु जारी किया जाता है।शिक्षा बचाओ समिति के प्रदेश संयोजक गोपाल सिंह राव के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षको को पिछले 5 सालों से समय पर मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है।पांच सात माह के बाद एक दो महिनों का मानदेय बडे संघर्ष के बाद मिलता है।जिसके कारण परिवार हमेशा आर्थिक संकट में रहते है।सिरोही जिले में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाता कंपनी इन्डियन इन्सट्यूट ऑफ स्किल डवलपमेन्ट गुरूग्राम कंपनी द्वारा सिरोही जिले में 50 व्यावसायिक प्रशिक्षक कार्यरत है ।जो कौशल विकास की शिक्षा विद्यार्थियों को दे रहे है। इन्डियन इन्सट्यूट ऑफ स्किल डवलपमेन्ट गुरूग्राम कंपनी के कॉडिनेटर दिनेश कुमार मेघवाल, राहुल कलाल, नवल किशोर, मुकेश शर्मा, अभिषेक, मुकेश दहिया और कंपनी के स्टेट हैड पंकज कुमार का यह कहना है कि व्यावसायिक प्रशिक्षकों के मानेदय की फाईल का भुगतान जिला कार्यालय से नहीं हुआ है।व्यावसायिक प्रशिक्षकों के मानदेय की फाईल को शिक्षा विभाग द्वारा बार- बार बजट न होने के कारण पास नहीं किया जा रहा है। व्यावसायिक प्रशिक्षको के कंपनी द्वारा समय पर मानदेय फाईल का भुगतान नहीं होने के कारण सिरोही जिले में पिछले 7 माह (दिसम्बर 2023 से) व्यावसायिक प्रशिक्षको को मानदेय नहीं मिल रहा है।जिसका मुख्य कारण अयोग्य वीसी द्वारा समय पर फाईलों को जमा नहीं कराना है। साथ ही इन्डियन इन्सट्यूट ऑफ स्किल डवलपमेन्ट गुरूग्राम कंपनी द्वारा प्रतिमाह वेतन में से ESIC के नाम पर 601/- रुपये की कटौती की जा रही है। माह नवम्बर 2023 से आज दिन तक व्यावसायिक प्रशिक्षकों के ESIC खाते में जमा नहीं करवाये गये है। जिसके बारे कंपनी के अधिकारियो व राजस्थान स्कुल शिक्षा परिषद को बार-बार मेल करके समस्या बताई जा चुकी है, परन्तु कंपनी और अधिकारियो के मिलिभगत से आज दिन तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। परेशान होकर अधिकारियों को व्यावसायिक प्रशिक्षकों के द्वारा फोन पर और वाट्सअप पर यह समस्या बताने पर ब्लोक कर दिया जाता है। जिससे स्थिति जस की टस नहीं हुई है।मानदेय समय पर नहीं मिलने के कारण व्यावसायिक प्रशिक्षकों को परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है।दुकानदारों ने सात माह के राशन की बकाया राशि नहीं चुकाने के कारण उधार देना बंद कर दिया है।व्यावसायिक प्रशिक्षकों के माता पिता व बच्चों के भुख मरने की नौबत आ गई है। इनके बच्चों की स्कूल फिस बकाया होने से स्कुल जाने में भी समस्य़ा का सामना करना पड रहा है।राज्य के हजारों विद्यार्थियों को कौशल की शिक्षा देने वाले कुशल व्यावसायिक प्रशिक्षक भंयकर संकट से गुजर रहे है ।राव के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षक विगत पांच वर्ष से संघर्षरत है।इनकी प्रमुख मांगें शिक्षा विभाग में समायोजन ,शोषणकारी प्लेशमेन्ट एजेंसियों से मुक्ति ,रोजगार सुरक्षा ,नियमित मानदेय वृद्धि ,प्रसुति,मातृत्व,चिकित्सा व सभी प्रकार के अवकाश, लोकडाउन सहित सभी लम्बित बकाया मानदेय भुगतान करना है।जिसके लिये व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ राजस्थान लम्बे समय से संघर्षरत है।वरिष्ठ कर्मचारी नेता गोपाल सिंह राव ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ,शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ,प्रमुख शासन सचिव व शिक्षा सचिव राजस्थान सरकार से व्यावसायिक प्रशिक्षकों के लम्बित मानदेय भुगतान कर इनकी न्यायोचित मांगों को मानकर राहत देने की गुहार की।


संपादक भावेश आर्य