स्वास्थ्य

झोलाछाप डॉक्टरो का गढ़ बनता जा रहा है रेवदर उपखंड क्षेत्र,लोगों के स्वास्थ्य के साथ हो रहा है खिलवाड़

आखिर क्यों नहीं हो रही है कार्यवाही, या फिर किसी की है इन पर महरबनी

रेवदर (विक्रम कुमार डाबी)।

रेवदर उपखंड क्षेत्र में कई समय से आम जन की जान से खेल रहे है कथित झोला छाप डॉक्टर। स्वास्थ्य विभाग ने भले ही एक दो फर्जी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर ली हो, लेकिन रेवदर उपखंड क्षेत्र में अभी भी सैंकड़ों झोलाछाप डॉक्टर इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गई है। कार्रवाई न होने के चलते इनका धंधा जोरों पर है। लेकिन विभाग सब कुछ जानते हुए भी अंजान बना बैठा है। ध्यान देने की बात यह है कि जिले के साथ ही गांव-गांव में बीमार लोगों को ठीक करने के नाम पर दुकान खोले बैठे कई झोलाछाप डॉक्टरों के पास न तो कोई डिग्री है और ना ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किया गया कोई प्रमाण, हां इतना जरूर है कि कुछ झोलाछाप डॉक्टरों न दूर-दराज के राज्यों से आयुर्वेद व संबंधित डिग्री जरूर अपनी दुकानों पर टांग रखी है। ये डॉक्टर मरीजों को देखते ही बता देते है उनका रोग, जबकि डिग्रीधारी डॉक्टर भी बिना रिपोर्ट के दवाई लिखने से परहेज रखते है। विभाग भी इनके विरूद्ध खानापूर्ति का अभियान चला कर साध लेते है चुप्पी, आखिर जड से क्यो नही मिटाते झोलाछापों का खेल।

रेवदर उपखंड पर अगर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा ईलाज करने पर अगर किसी की जान चली जाने के बाद मामला सम्बंधित विभाग के संज्ञान में आता है तो भी उस पर पर्दा डाल देते है। ऐसा ही एक केस रेवदर उपखंड के धाण पंचायत के एक कथित डॉक्टर पर एक देवासी परिवार की एक महिला के इलाज के दौरान जान चली जाने के आरोप लगे थे। स्थानीय न्यूज पेपरों सहित सोशल मीडिया पर खूब खबरे चली पर विभाग ने अपनी कार्यवाही को लेकर छुपी साध रखी। वेसे मीडिया के द्वारा जानकारी में यह भी सामने आया कि ऐसे कुछ झोलाछाप डॉक्टरों को स्थानीय व्यक्तियो के संरक्षक मिलने से जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को भी कार्यवाही से परहेज करना पडता है।

गलत इलाज के आए दिन आ रहे हैं मामले

उपखंड सहित आसपास के गाँव नागाणी, अनादरा, थल, दौलपुरा, दांतराई, जीरावल, धाण सहित दर्जनों गाँवो में आए दिन लोगों से साथ झोलाछाप द्वारा गलत इलाज करने की सूचना आती रहती है। और जब इन डॉक्टरों से जब मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो फर्जी चिकित्सक दुकाने बंद कर फरार हो जाते है। लेकिन कुछ दिनों बाद पुनः लोगों की सेहत से खिलवाड का धंधा शुरू कर दिया जाता है। उसके बाद विभाग इस ओर कोई ध्यान नही देता। ऐसा भी नहीं है कि क्षेत्र के जिम्मेदार शासकीय नुमाइंदों को इन फर्जी झोलाछापों के बारे में कोई जानकारी नही हो, लेकिन जब चिकित्सा महकमा इनके ऊपर मेहरबान हो तो डर किस बात का। क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर कई अनजान अनपढ़ ग्रामीणों की जान ले चुके हैं। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग ऐसे तथाकथित डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाही नही कर रहा हैं।

झोलाछापों के ईलाज से शिकार होकर करवा रहे बड़े शहरों में ईलाज, स्वास्थ्य महकमा बना हुआ है मूकदर्शक

रेवदर उपखंड में कई झोलाछाप डॉक्टर तो ऐसे हैं जिनके इलाज से कई लोगों ने अपनी जान भी गवाई और कई लोग गंभीर बीमारियों का शिकार भी हुए। जिन्हें अब बड़े शहरों में जाकर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। साथ ही कई रेवदर, नागाणी धाण, दांतराई, जीरावल सहित अन्य आसपास के गांवों में फर्जी डाक्टर बैठे हैं। यह प्रतिदिन किसी न किसी को मौत का शिकार बना रहे है। लेकिन स्वास्थ्य महकमा मूकदर्शक बना हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि रेवदर उपखंड में स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप और बिना डिग्री वाले डॉक्टरों पर कब कार्रवाई करता है। या फिर विभाग इंतजार में है कब कोई बड़ी घटना या किसी की मृत्यु।

संपादक भावेश आर्य

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