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विशाल शोभायात्रा एवं संत समागम के साथ देवनगरी सिरोही में हुआ श्रीमद भागवत कथा का हुआ शुभारंभ ।

सिरोही(हरीश दवे) ।

देवनगरी सिरोही में पूज्य भाई संतोष सागर जी महाराज के मुखारविंद से दिव्य मदभागवत कथा का आज शुभारंभ हुआ। इससे पूर्व 10:30 बजे शहर के रामझरोखा मैदान से भागवत कलश यात्रा पूज्य भाई संतोष सागर जी महाराज, संत भजन राम जी, संत तीरथ गिरी जी महाराज, संत पागल बाबा एवं संत रामाज्ञा दास जी महाराज के पावन आशीर्वाद एवं सानिध्य के साथ प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए कथा स्थल प्रथमेश गार्डन पहुंची । संतों, भक्तजनों एवं माताओं बहनों ने उत्साह से नाचते गाते भागवत पोथी को लेकर कथा पंडाल प्रथमेश गार्डन में विराजमान किया । भागवत कथा के मुख्य यजमान नरेंद्र पाल सिंह महेंद्र पाल सिंह एवं विजयपाल सिंह द्वारा परिजनों सहित भागवत पोथी एवं कलश धारण करने का लाभ प्राप्त किया ।

प्रथम दिन की कथा प्रारंभ करते हुए भाई श्री संतोष सागर जी महाराज ने भागवत कथा के महात्म्य को बताते हुए कहा कि भागवत कथा प्रभु की वाणी है । भागवत का प्रागट्य स्वयं भगवान द्वारा ब्रह्मा जी को एवं ब्रह्मा जी द्वारा नारद को तथा नारद जी के भागवत के चार श्लोकों के माध्यम से वेदव्यास जी महाराज द्वारा 18000 श्लोक द्वारा भागवत का प्राकट्य हुआ । संत भाई संतोष सागर ने बताया की स्वयं को जानने का माध्यम है भजन और भागवत कथा । 

भागवत के प्रथम श्लोक का विश्लेषण करते हुए कहा कि “सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !!”

भगवान कृष्ण ही परमात्मा का स्वरूप है जो सभी प्राणियों का पालन पोषण एवं संवर्धन करता है मनुष्य के सभी कष्टों का निवारण भी कृष्ण ही करता है । इसलिए भगवान विष्णु स्वरूप कृष्ण को नमन है । संत ने बताया की जहां भगवान के भक्त हरीनाम का गायन करते है वहीं में परमात्मा निवास करता । 

भागवत ज्ञान गंगा हरिद्वार गंगा हरिद्वार की गंगा की बड़ी बहन है जो हमारे मन के मैल को धोती है । 

भागवत प्रत्यक्ष कृष्ण का स्वरूप है । 

मनुष्य शरीर मिलना दुर्लभ है, और उससे भी दुर्लभ है सत्संग और कथा का मिलना । मल मास मैं सिरोही के नगर वासियों को कथा का रस का स्वादन हो रहा है हम सभी परम सौभाग्यशाली है । 

संतश्री ने व्यासपीठ से राजस्थान के नव मनोनित मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को शुभकामनाएं देते हुए किसान समृद्ध, युवाओं को शिक्षित, निशुल्क चिकित्सा का आह्वान किया । 

भागवत कथा में ओंकारसिंह उदावत, मदन सिंह परमार, करण सिंह डाबी फौजी, राजेंद्र सिंह राठौर, विक्रम सिंह यादव, बाबूलाल प्रजापत, रामचंद्र प्रजापत, कुंदन प्रजापत, सुखी बाई, डॉक्टर सुनंदा जैन, पवन आर्य, हमीर सिंह राव, शैतान सिंह, महेश त्रिवेदी, शंकर लाल माली, मगन लाल माली, जगदीश सिंह गुर्जर, घनश्याम मिश्रा सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित थे ।

संपादक भावेश आर्य

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